Report- Rajan Singh by: Vijay Nandan
उत्तर प्रदेश में सक्रिय छांगुर गैंग की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। अब एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ते), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग की टीमें मिलकर इस नेटवर्क की गहराई से जांच में जुट गई हैं।
बलरामपुर-बहराइच में खातों की छानबीन
सूत्रों के मुताबिक, टीमों ने बलरामपुर और बहराइच के विभिन्न बैंकों में छांगुर और उसके सहयोगियों के खातों की डिटेल खंगालना शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में हवाला नेटवर्क से जुड़े गोपनीय लेन-देन और बिना घोषित विदेशी फंडिंग के साक्ष्य सामने आए हैं।
विदेशी फंडिंग और हवाला का बड़ा खेल
ईडी और आयकर विभाग को जांच में यह भी पुष्टि हुई है कि छांगुर गैंग को बड़े पैमाने पर विदेशी स्रोतों से फंडिंग प्राप्त हुई है, जिसे धार्मिक और सामाजिक दान के नाम पर गोपनीय तरीके से भारत में खपाया गया। इसमें घोषित न की गई आय और काले धन की भूमिका प्रमुख है।
राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की भी जांच
एटीएस की जांच में यह बात भी सामने आई है कि यह फंडिंग सिर्फ वित्तीय अनियमितताओं तक सीमित नहीं थी, बल्कि उसका उपयोग राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में भी किया गया। सूत्रों का कहना है कि छांगुर की कोठी पर अक्सर ऐसे लोग आते थे, जो नेपाल सीमा के आसपास के मदरसों में रुकते और वहीं से धर्मांतरण अभियान को अंजाम दिया जाता था।
मदरसों के जरिए धर्मांतरण
बताया जा रहा है कि नेपाल बॉर्डर से सटे क्षेत्रों में मदरसों को हटाए जाने से छांगुर नाराज था, और उसने इन्हीं मदरसों को आधार बनाकर धर्मांतरण की गतिविधियां चलाईं। एटीएस को इस संबंध में कई डिजिटल और दस्तावेज़ी साक्ष्य मिले हैं।

अगली कार्रवाई में जब्त होंगी और संपत्तियां
सूत्रों की मानें तो जल्द ही छांगुर गैंग की अवैध संपत्तियों की लिस्ट तैयार कर जब्ती की कार्रवाई की जाएगी। अब तक की जांच में 100 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग का सुराग मिला है।
संदिग्ध लेन-देन की कड़ियाँ उजागर
सूत्र बताते हैं कि छांगुर और उसके सहयोगियों के खातों में एक ही दिन में लाखों रुपये का लेन-देन हुआ है, जिसकी कोई वैध रसीद या स्रोत नहीं मिला। इन लेन-देन की जाँच एफआईयू (फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट) के माध्यम से भी की जा रही है।
जांच एजेंसियों को शक है कि यह पैसा हवाला नेटवर्क के जरिए भारत में पहुंचाया गया और उसका उपयोग प्रेरित धर्मांतरण, भड़काऊ प्रचार सामग्री और गोपनीय बैठकों के आयोजन में किया गया।
कोठी और मदरसों के बीच कनेक्शन
एटीएस की नजर अब छांगुर की कोठी पर आने-जाने वाले संदिग्धों और मदरसों में ठहरने वाले मेहमानों पर है। इन मदरसों में न केवल बाहरी फंडिंग से संचालन हो रहा था, बल्कि यहाँ नौजवानों को कट्टरपंथी विचारधारा से जोड़ने की कोशिशें भी हो रही थीं।
छांगुर की कोठी से जब्त डिजिटल डिवाइसेज़ और दस्तावेज़ों की फॉरेंसिक जांच की जा रही है, जिससे कई और चेहरों के बेनकाब होने की संभावना है।
सोशल मीडिया नेटवर्क पर भी कड़ी नजर
जांच एजेंसियों ने छांगुर गैंग से जुड़े सोशल मीडिया अकाउंट्स और मैसेजिंग ग्रुप्स को भी ट्रैक करना शुरू कर दिया है। इन प्लेटफॉर्म्स पर कोडवर्ड में बातचीत, धर्मांतरण की रणनीतियाँ, और फंड वितरण की योजनाएं उजागर हुई हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला
गृह मंत्रालय के निर्देश पर चल रही इस जांच को अब राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा संवेदनशील मामला माना जा रहा है। जांच एजेंसियां छांगुर नेटवर्क को “गंभीर आंतरिक खतरा” मानकर कार्रवाई कर रही हैं।
जल्द हो सकते हैं कई और खुलासे
जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि –
“अब तक मिली जानकारी सिर्फ शुरुआत है। जैसे-जैसे खातों और लेन-देन की परतें खुलेंगी, इस नेटवर्क में शामिल कई और प्रभावशाली और गुप्त नाम सामने आ सकते हैं।”
छांगुर गैंग पर शिकंजा कसता जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार और जांच एजेंसियां इस मामले को राज्य और राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा हुआ मानकर तेज़ कार्रवाई के मूड में हैं। आने वाले दिनों में और जब्ती, गिरफ्तारियां और खुलासे हो सकते हैं।