Jharkhand news: झारखंड सरकार ने पेसा नियमावली को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिली। अधिसूचना जारी होने के बाद यह नियमावली राज्य के 14 अनुसूचित जिलों में पूरी तरह लागू हो जाएगी, जबकि पलामू, गोड्डा और गढ़वा जिलों में इसे आंशिक रूप से प्रभावी किया जाएगा।पेसा कानून का पूरा नाम पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम-1996 है। इसके लागू होने से ग्राम सभा की भूमिका और अधिकार पहले से कहीं अधिक मजबूत होंगे।भूमि, जल, जंगल और खनिज संसाधनों से जुड़े निर्णयों में अब ग्राम सभा की सीधी भागीदारी सुनिश्चित होगी। इससे स्थानीय स्वशासन को मजबूती मिलेगी। इस कानून के लागू होने के साथ ही झारखंड देश के उन 10 राज्यों की सूची में शामिल हो गया है, जहां पेसा कानून प्रभावी है।
पहले भी बन चुका था ड्राफ्ट, अब जाकर मिली मंजूरी
केंद्र सरकार ने वर्ष 1996 में पेसा अधिनियम लागू किया था, लेकिन एकीकृत बिहार और बाद में झारखंड में इसकी नियमावली लंबे समय तक नहीं बन पाई।वर्ष 2019 और 2023 में नियमावली का मसौदा तैयार हुआ, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया।बाद में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई। वर्ष 2024 में अदालत ने राज्य सरकार को दो महीने के भीतर नियमावली लागू करने का निर्देश दिया था।
ग्राम सभा की बैठकों को लेकर स्पष्ट प्रावधान
नियमावली के अनुसार प्रत्येक ग्राम सभा की कम से कम एक बैठक हर माह अनिवार्य होगी। ग्राम सभा के कुल सदस्यों के दसवें हिस्से या आधे सदस्यों की लिखित मांग पर ग्राम प्रधान को सात दिनों के भीतर बैठक बुलानी होगी। बैठक के लिए ग्राम सभा के एक-तिहाई सदस्यों की उपस्थिति को कोरम माना जाएगा। झारखंड पंचायती राज अधिनियम-2001 पहले से पेसा के अनुरूप है, इसलिए पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ने दिया प्रभावी क्रियान्वयन का भरोसा
कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पेसा नियमावली को राज्य में प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।उन्होंने बताया कि नियमावली को व्यापक विमर्श और विभिन्न विभागों के साथ गहन मंथन के बाद अंतिम रूप दिया गया है। जमीनी स्तर पर इसके बेहतर क्रियान्वयन के लिए सभी पहलुओं पर विशेष ध्यान रखा जाएगा।
इन जिलों में लागू होगा पेसा कानून
रांची, खूंटी, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, लातेहार, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, साहेबगंज, दुमका, पाकुड़ और जामताड़ा जिलों में पेसा पूरी तरह लागू होगा। इसके अलावा पलामू जिले के सतबरवा प्रखंड की रबदा और बकोरिया पंचायत, तथा गोड्डा जिले के सुंदरपहाड़ी और बोरिजोर प्रखंड में यह कानून लागू किया जाएगा।
क्यों जरूरी है पेसा कानून
आदिवासी बहुल क्षेत्रों में सामान्य पंचायती व्यवस्था स्थानीय परंपराओं और सामाजिक ढांचे के अनुरूप नहीं मानी जाती रही है।विकास परियोजनाओं में स्थानीय समुदायों की सहमति के बिना फैसले लिए जाने की शिकायतें लंबे समय से सामने आती रही हैं।पेसा कानून के तहत ग्राम सभा को जमीन अधिग्रहण, पुनर्वास, खनन, शराब बिक्री, लघु वन उपज और पारंपरिक संसाधनों की सुरक्षा जैसे मामलों में निर्णायक अधिकार दिए गए हैं।इस कानून का उद्देश्य प्रशासनिक व्यवस्था और आदिवासी समाज के पारंपरिक अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करना है।सही तरीके से लागू होने पर पेसा कानून आदिवासी क्षेत्रों में लोकतंत्र और आत्मनिर्भरता को जमीनी स्तर तक मजबूत कर सकता है।





