🔭 ISRO की 101वीं उड़ान: लॉन्च सफल, लेकिन मिशन अधूरा
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रविवार, 18 मई 2025 को अपना 101वां उपग्रह मिशन लॉन्च किया। यह मिशन PSLV-C61 रॉकेट के ज़रिए किया गया, जिसमें EOS-09 नामक Earth Observation Satellite को Sun Synchronous Polar Orbit (SSPO) में स्थापित किया जाना था।
हालांकि, लॉन्च के कुछ ही मिनटों बाद ISRO को झटका लगा, क्योंकि तीसरे चरण में तकनीकी समस्या के कारण सैटेलाइट को कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका।
🚀 क्या कहा ISRO ने?
ISRO प्रमुख ने बताया:
“PSLV का प्रदर्शन दूसरे चरण तक सामान्य था, लेकिन तीसरे चरण में समस्या सामने आई। हम जल्द ही विश्लेषण कर स्थिति स्पष्ट करेंगे।”
ISRO ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर बताया:
“आज PSLV-C61 के साथ 101वां लॉन्च किया गया। दूसरे चरण तक प्रदर्शन सामान्य था, लेकिन तीसरे चरण में आई एक तकनीकी समस्या के कारण मिशन पूरा नहीं हो सका।”
🌍 EOS-09: क्या है इसकी खासियत?
EOS-09 एक उन्नत पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है, जो C-band Synthetic Aperture Radar (SAR) तकनीक से लैस है। यह तकनीक हर मौसम और दिन-रात किसी भी समय ज़मीन की उच्च-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें लेने में सक्षम है।
इस उपग्रह का उद्देश्य:
- कृषि और वनों की निगरानी
- आपदा प्रबंधन में सहायता
- सामरिक और सैन्य उपयोग
- सीमाओं की सुरक्षा और निगरानी
यह उपग्रह Deorbiting Fuel से भी लैस था, जिससे मिशन के बाद इसे सुरक्षित रूप से नष्ट किया जा सकता था — यह ISRO के सतत और जिम्मेदार अंतरिक्ष मिशन की दिशा में एक बड़ा कदम था।
🔄 PSLV रॉकेट का रिकॉर्ड
- यह PSLV की 63वीं उड़ान थी
- PSLV-XL वैरिएंट की 27वीं लॉन्चिंग
- ISRO का 100 सफल मिशनों का मील का पत्थर पहले ही पूरा हो चुका है
इस मिशन से एक बार फिर PSLV की विश्वसनीयता साबित हुई, भले ही अंतिम चरण में मिशन पूरा न हो सका।
👨🔬 वैज्ञानिकों की प्रतिक्रियाएं
वैज्ञानिक डॉ. डब्ल्यू. सेल्वमूर्ति ने लॉन्च से पहले ISRO के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी थी। उन्होंने कहा:
“EOS-09 एक ऐसे उपग्रहों की श्रृंखला का हिस्सा है, जो पृथ्वी के परिवर्तनों की निगरानी के लिए बेहद उपयोगी हैं। ये उपग्रह कृषि, आपदा प्रबंधन और सैन्य जरूरतों में बेहद कारगर साबित होंगे।”
👨👩👧 जनता का उत्साह और निराशा
लॉन्च देखने के लिए सैकड़ों लोग श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पहुंचे थे।
लेकिन सुरक्षा कारणों, विशेषकर भारत-पाकिस्तान तनाव के चलते, आम लोगों को लॉन्च स्थल पर जाने की अनुमति नहीं दी गई।
बच्चों और पर्यटकों की प्रतिक्रिया:
- एक बच्चा: “हम रानीपेट से आए थे। इतने लंबे सफर के बाद भी लॉन्च नहीं देख पाए, फिर भी बहुत गर्व महसूस कर रहा हूं।”
- एक छात्र: “हम गांव से 150 किलोमीटर दूर से आए थे। थोड़ी निराशा हुई, लेकिन अगली बार फिर आऊंगा। मेरा सपना ISRO का चेयरमैन बनना है।”
🔚 निष्कर्ष
ISRO का 101वां मिशन तकनीकी गड़बड़ी के चलते सफल नहीं हो सका, लेकिन इससे भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की प्रतिबद्धता और वैज्ञानिकों की मेहनत पर कोई सवाल नहीं उठता। EOS-09 जैसे मिशन भारत की सुरक्षा, विज्ञान और पर्यावरण निगरानी के क्षेत्र में भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
ISRO इस असफलता से सीखकर और बेहतर मिशनों के साथ वापसी करेगा — जैसा वो हमेशा करता आया है।