BY: Yoganand Shrivastva
इस्तांबुल,ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव बढ़ने लगा है। शुक्रवार को इस्तांबुल में ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के प्रतिनिधि ईरान के राजनयिकों से अहम बैठक करने जा रहे हैं। यह बातचीत ऐसे समय हो रही है जब ईरान और इज़राइल के बीच जून में 12 दिनों तक चला युद्ध और उस दौरान अमेरिका के हमलों में ईरान के कई परमाणु ठिकानों को नुकसान पहुंचा।
फिर से लग सकते हैं पुराने प्रतिबंध
सूत्रों के अनुसार, यदि बातचीत से कोई ठोस समाधान नहीं निकलता है, तो 2015 में हटाए गए प्रतिबंधों को दोबारा लागू किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को ‘स्नैपबैक’ कहा जाता है। इसका मतलब है कि अगर ईरान परमाणु समझौते की शर्तों का उल्लंघन करता है तो पहले हटाए गए प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से फिर से लागू किए जा सकते हैं।
एक यूरोपीय राजनयिक ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि, “ईरान को प्रतिबंधों की प्रक्रिया टालने का विकल्प दिया गया है, बशर्ते वह ईमानदारी से बातचीत करे, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) से पूरा सहयोग करे और अपने समृद्ध यूरेनियम के भंडारण को लेकर उठ रही चिंताओं को दूर करे।”
अगस्त के अंत तक लिया जा सकता है फैसला
यूरोपीय देशों ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि वार्ता में प्रगति नहीं होती, तो अगस्त के अंत तक ईरान पर प्रतिबंध दोबारा लगाए जा सकते हैं। इससे पहले भी पश्चिमी देश ईरान से उसकी परमाणु गतिविधियों को पारदर्शी और सीमित करने की मांग करते रहे हैं।
ईरान का रुख सख्त, यूरेनियम संवर्धन जारी रहेगा
दूसरी ओर, ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम से पीछे हटने के मूड में नहीं दिख रहा है। देश के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने हाल में दिए बयान में साफ किया कि अमेरिकी हमलों से परमाणु ठिकानों को नुकसान जरूर पहुंचा है, लेकिन इसके बावजूद ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को जारी रखेगा। उन्होंने कहा, “हमारे वैज्ञानिक और रणनीतिक हित इस कार्यक्रम से जुड़े हैं और हम इसे नहीं छोड़ेंगे।”