रिपोर्ट: कृष्ण कुमार पटेरिया
नौगांव: IAS संतोष बर्मा द्वारा की गई कथित अभद्र टिप्पणी के विरोध में आज नौगांव पूरी तरह बंद रहा। हिंदू सनातनी योद्धा संगठन के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोगों ने सड़कों पर उतरकर शांतिपूर्ण रैली निकालकर प्रदर्शन किया। बाजार, दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों ने स्वयं आगे बढ़कर समर्थन देते हुए अपने प्रतिष्ठान बंद रखे।
नारेबाजी की तथा प्रशासन से मांग की कि IAS संतोष बर्मा के खिलाफ तत्काल FIR दर्ज की जाए। रैली नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए धरना स्थल पहुंचेप्रदर्शन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए पुलिस बल तैनात किया गया। मौके पर किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि जब तक IAS संतोष बर्मा पर कार्रवाई नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा।
क्या जाएगी नौकरी?
प्रदेश के प्रशासनिक हलकों में यह बड़ा सवाल है कि क्या संतोष वर्मा को सेवा से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। बयान के चलते पहले ही विरोध तेज था, अब स्थिति और उलझ गई है। सांसद जनार्दन मिश्रा ने वर्मा पर कथित तौर पर पदोन्नति में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए चिट्ठी लिखी है, जिससे मामला और गंभीर हो गया है। इन घटनाक्रमों के बाद यह माना जा रहा है कि अब अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री के हाथ में है।
पहले भी आईएएस घिर चुके हैं विवादों में
संतोष वर्मा का मामला कोई पहला उदाहरण नहीं है। इससे पहले भी कई आईएएस अधिकारी अपने बयानों या कार्यशैली के कारण राजनीतिक और सामाजिक विवादों की जद में आ चुके हैं।
- पूर्व आईएएस शैलबाला मार्टिन ने मंदिरों में लाउडस्पीकर को लेकर दिए बयान से धार्मिक बहस छेड़ दी थी।
- आईएएस लोकेश जांगिड़ ने तबादलों और भ्रष्टाचार को लेकर अपनी पीड़ा सार्वजनिक की थी, जिससे सरकार पर सीधे सवाल उठे थे।
- नियाज खान भी सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर अपनी मुखर टिप्पणियों की वजह से अक्सर चर्चा में रहते थे।
भ्रष्टाचार के मामलों में अरविन्द जोशी और टीनू जोशी जैसे नाम पहले ही प्रशासन की छवि को धक्का पहुंचा चुके हैं, लेकिन जानकारों के अनुसार संतोष वर्मा का बयान भाषा और सामाजिक संवेदनशीलता—दोनों ही स्तर पर अत्यंत अनुचित माना जा रहा है।





