भारतीय और पाकिस्तानी संस्कृति पर छिड़ी बहस
BY: VIJAY NANDAN
कल्पना कीजिए… अमेरिका की सबसे बिजी और प्रतिष्ठित जगह, न्यूयॉर्क की वॉल स्ट्रीट… और वहां गुजर रही है ढोल-नगाड़ों, डीजे बीट्स और नाचते गाते 400 भारतीयों की बारात। ये कोई फिल्मी सीन नहीं, बल्कि अमेरिका में बसे भारतीय समुदाय की हकीकत है, जो न सिर्फ आर्थिक रूप से समृद्ध हैं, बल्कि अब अपनी संस्कृति को पूरे आत्मविश्वास के साथ दुनिया के सबसे ताकतवर देश में जी भी रहे हैं।
वॉल स्ट्रीट बनी डांस फ्लोर
अमेरिका के फाइनेंशियल हब मानी जाने वाली वॉल स्ट्रीट उस दिन कुछ देर के लिए रुक गई, जब भारतीय दूल्हे की बारात वहां से निकली। शेरवानी, साड़ी, लहंगे और सूट पहने सैकड़ों लोग ढोल और डीजे की धुन पर थिरकते हुए वॉल स्ट्रीट से गुजरे।
जिस जगह से दुनिया भर की अर्थव्यवस्था की धड़कनें चलती हैं, वहां भारतीयों ने अपनी संस्कृति की धुन पर लोगों का ध्यान खींच लिया।

इंटरनेट पर मचा धमाल
- सोशल मीडिया पर इस बारात के कई वीडियो वायरल हो चुके हैं।
- अमेरिकियों ने रुककर इस अनोखे जश्न का लुत्फ उठाया, और कईयों ने इसे कैमरे में भी कैद किया।
- इंस्टाग्राम यूजर डीजे एजे ने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा: “हमने 400 लोगों की बारात के लिए वॉल स्ट्रीट को बंद कर दिया। ये एक अविस्मरणीय पल है।”
खर्च की बात करें तो ये कोई छोटी मोटी शादी नहीं थी…
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इतनी हाई-प्रोफाइल जगह पर बारात निकालना महंगा सौदा होता है।
यह खर्च निम्न चीजों पर निर्भर करता है:
- रोड बंद करने की परमिशन (CECM परमिट – $25 से शुरू)
- पुलिस और निजी सुरक्षा
- इवेंट बीमा
- भीड़ प्रबंधन और लॉजिस्टिक्स
- DJ सेटअप और उपकरण किराया
इस तरह वॉल स्ट्रीट या ब्रॉडवे जैसे लोकेशन पर बारात निकालने की कुल लागत $25,000 से $60,000 या उससे अधिक हो सकती है। भारतीय करेंसी में लगभग 50 लाख रुपए हो सकती है।
यह सिर्फ एक शादी नहीं, अमेरिका में भारतीयों की बढ़ती हैसियत का प्रतीक है
भारतीय अब सिर्फ अमेरिका में रह नहीं रहे, बल्कि प्रभाव भी बना रहे हैं। आइए नजर डालते हैं कुछ प्रमुख बिंदुओं पर:
अमेरिका में भारतीयों की स्थिति
- जनसंख्या: लगभग 50 लाख भारतीय अमेरिकी अमेरिका में रहते हैं।
- शिक्षा और आय: भारतीय अमेरिकी सबसे ज्यादा शिक्षित और उच्च आय वर्ग में आते हैं।
- प्रभावशाली पदों पर आसीन:
- गूगल के CEO – सुंदर पिचाई
- माइक्रोसॉफ्ट के CEO – सत्या नडेला
- अमेरिका की उपराष्ट्रपति – कमला हैरिस (भारतीय मूल की)
- कई गवर्नर, सांसद, वैज्ञानिक और डॉक्टर भी भारतीय मूल के हैं।
पाकिस्तानियों की स्थिति तुलना में
- जनसंख्या: लगभग 6 से 7 लाख पाकिस्तानी अमेरिकी हैं।
- प्रतिनिधित्व:
- कुछ पत्रकार और अकादमिक क्षेत्र में नाम हैं, पर टॉप टेक, पॉलिटिक्स या कारपोरेट लीडरशिप में प्रभाव बेहद सीमित।
- सामाजिक प्रतिष्ठा: कई मामलों में पाकिस्तानी अमेरिकी समुदाय को भारत की तुलना में कम आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव के रूप में देखा जाता है।
कुल मिलाकर, भारतवंशियों ने अमेरिका में शिक्षा, मेहनत और स्किल से जिस तरह अपनी जगह बनाई है, उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है।
चीन और पाकिस्तान की पॉलिसी के उलट भारतीयों ने कमाया सम्मान
जहां पाकिस्तान और चीन की रणनीति अक्सर जियोपॉलिटिक्स और सरकारी दबदबे तक सीमित रहती है, वहीं भारतीयों ने ‘सॉफ्ट पॉवर’ से अमेरिकी समाज में विश्वास और इज्जत कमाई है – चाहे वो बॉलीवुड हो, योगा, टेक्नोलॉजी या फिर शादी में वॉल स्ट्रीट पर नाचने की बात हो. वॉल स्ट्रीट पर निकली ये बारात सिर्फ एक शादी नहीं, ये भारत की सामाजिक और आर्थिक ताकत का जश्न था। यह दिखाता है कि भारतीय दुनिया में कहीं भी जाएं, अपनी पहचान और संस्कृति को पूरी शान से जीना जानते हैं।
यह सिर्फ एक शादी नहीं, अमेरिका में भारतीयों की बढ़ती हैसियत का प्रतीक है — और पाकिस्तान से साफ़ फर्क भी दिखता है
भारतीयों की वॉल स्ट्रीट पर निकली यह भव्य बारात सिर्फ एक व्यक्तिगत समारोह नहीं थी — यह अमेरिका में भारतवंशियों के प्रभाव और सामाजिक मान्यता की खुली झलक थी। लेकिन वहीं जब हम पाकिस्तान की स्थिति से इसकी तुलना करते हैं, तो तस्वीर बिल्कुल अलग और काफी हद तक शर्मनाक नजर आती है।
अमेरिका में भारतीयों का प्रभाव: सम्मान, शिक्षा और नेतृत्व
- शिक्षा: भारतीय अमेरिकी सबसे ज्यादा शिक्षित समुदाय हैं — 75% से अधिक के पास स्नातक या उच्च डिग्री है।
- आय: औसतन भारतीय परिवारों की सालाना आय $120,000 के करीब है — जो अमेरिका के औसत से कहीं ज्यादा है।
- नेतृत्व: भारतीय अमेरिकी गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एडोबी, IBM जैसे दिग्गज संस्थानों के CEO हैं।
अब तुलना करें: अमेरिका में पाकिस्तानी मूल के नागरिक
- संख्या: लगभग 6-7 लाख पाकिस्तानी अमेरिकी।
- प्रतिष्ठा: अमेरिका में पाकिस्तानियों की छवि अक्सर कट्टरता, अविश्वास और अलगाववाद से जुड़ी मानी जाती है।
- प्रभाव: राजनीति, कॉर्पोरेट या विज्ञान के क्षेत्रों में पाकिस्तानियों का प्रतिनिधित्व बेहद सीमित है।
सबसे शर्मनाक उदाहरण: आतंकी साजिशों में पाकिस्तानी मूल के शामिल
- फैज़ल शाहजाद (Faisal Shahzad): पाकिस्तान मूल का अमेरिकी नागरिक जिसने 2010 में टाइम्स स्क्वायर में बम ब्लास्ट की कोशिश की थी। उसे उम्रकैद हुई।
- 2008 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद और उसके संगठन लश्कर-ए-तैयबा को अमेरिका ने आतंकवादी करार दिया है।
- हक्कानी नेटवर्क और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों को अमेरिका ने “Foreign Terrorist Organizations” घोषित किया है।
- 9/11 के बाद कई जांचों में यह तथ्य सामने आया कि पाकिस्तान ने अमेरिका को आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाह दी।
इन कारणों से अमेरिका में पाकिस्तानी समुदाय को अक्सर सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी का सामना करना पड़ता है, और उनका सामाजिक प्रभाव लगातार कमजोर पड़ा है।
भारत की संस्कृति और पाकिस्तानी कट्टरता में अंतर साफ है
जहां भारतीय अमेरिका में योग, बॉलीवुड, टेक्नोलॉजी और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रतीक बन चुके हैं, वहीं पाकिस्तान का नाम अक्सर आतंक, कट्टरवाद और चरमपंथी सोच के साथ जोड़ा जाता है।
भारतीय बारात वॉल स्ट्रीट पर नाचती है, और पाकिस्तानी अतीत में टाइम्स स्क्वायर पर बम रखने की कोशिश करते पाए जाते हैं , यह फर्क किसी बयान से नहीं, बल्कि तथ्यों और घटनाओं से खुद साफ है। लेख का केंद्र भले ही वॉल स्ट्रीट पर निकली भारतीय बारात हो, लेकिन यह घटना अमेरिका में भारत और पाकिस्तान की साख और पहचान का भी आईना है। एक तरफ भारतीय संस्कृति को खुले दिल से अपनाया जा रहा है, दूसरी तरफ पाकिस्तान को संदेह की नजरों से देखा जाता है। इस तुलना में भारत जीत रहा है — और पाकिस्तान पिछड़ता ही जा रहा है।
अमेरिका में भारतीयों की मौजूदगी: संस्कृति, योगदान और लोकप्रियता
भारतीय सिर्फ नौकरी या व्यापार के लिए अमेरिका में नहीं हैं — वे वहां की संस्कृति का हिस्सा बन चुके हैं। चाहे वो हॉलीवुड में प्रियंका चोपड़ा जैसी हस्तियां हों, या व्हाइट हाउस में कमला हैरिस (भारतीय मूल की उप-राष्ट्रपति), हर जगह भारतवंशियों की मौजूदगी है।
भारतीयों के अमेरिका में योगदान:
- बॉलीवुड संगीत और डांस अब अमेरिका के स्कूलों और कॉलेजों के प्रोग्राम में शामिल होने लगे हैं।
- भारतीय व्यंजन, जैसे डोसा, बटर चिकन, और बिरयानी, अब अमेरिकी शहरों में आम हो गए हैं।
- आइटी सेक्टर में भारतीयों की भूमिका इतनी प्रभावशाली है कि वीज़ा प्रणाली में बदलाव होने पर सिलिकॉन वैली सबसे पहले प्रतिक्रिया देती है।
दूसरी ओर पाकिस्तान: पहचान संकट और अलगाव
कट्टर धार्मिक पहचान को लेकर अक्सर पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी लोगों को FBI और अन्य एजेंसियों की निगरानी झेलनी पड़ती है।
- रोजगार और शिक्षा में भी उनका प्रदर्शन भारतीयों की तुलना में कमजोर है।
- सामाजिक एकीकरण की प्रक्रिया भी धीमी है, क्योंकि कई पाकिस्तानी परिवार अमेरिका में भी क्लोज्ड कम्युनिटी लाइफस्टाइल को बनाए रखते हैं, जिससे मेल-जोल और स्वीकार्यता में कमी आती है।
भारत बनाम पाकिस्तान: आंकड़ों में तुलना
मापदंड | भारतवंशी अमेरिकी | पाकिस्तानी अमेरिकी |
---|---|---|
कुल जनसंख्या | 52 लाख+ | 6-7 लाख |
औसत सालाना आय | $1,51,000+ | $58,000 (अनुमानित) |
कॉलेज डिग्रीधारी | 75%+ | लगभग 45% |
CEO/Top Positions | गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, IBM | सीमित, नगण्य प्रतिनिधित्व |
आतंकी मामलों में संलिप्तता | नगण्य | कई प्रमुख मामलों में नाम |
अमेरिका में भारतीय होने का मतलब. भरोसे का प्रतीक
भारतीयों को अमेरिका में “Model Minority” कहा जाता है — यानी ऐसा समुदाय जो मेहनत, पढ़ाई, और शांति के साथ समाज में घुलमिल जाता है। वहीं पाकिस्तान का नाम सुनते ही अमेरिका के आम नागरिक को तालिबान, ओसामा बिन लादेन, या लश्कर जैसे नाम याद आ जाते हैं। यह कोई पूर्वग्रह नहीं, बल्कि वर्षों के अनुभव और घटनाओं का असर है।
भारत का कूटनीतिक लाभ
भारत ने अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी, रक्षा सहयोग, और टेक्नोलॉजी साझेदारी जैसे क्षेत्रों में संबंध मजबूत किए हैं। वहीं पाकिस्तान अब भी चीन की गोद में बैठा, अमेरिका से सिर्फ सहायता मांगने वाली मानसिकता में उलझा हुआ है।
हालिया घटनाएं:
- भारत को G20 की मेज़बानी मिली, जबकि पाकिस्तान FATF की निगरानी में रहा।
- अमेरिका में PM मोदी का “Howdy Modi” कार्यक्रम लाखों की भीड़ लाता है, पाकिस्तान के नेता वहां मुश्किल से एक संवाददाता सम्मेलन कर पाते हैं।
असली ताकत सिर्फ़ हथियार या धर्म नहीं, पहचान और भरोसे में है
भारत की वॉल स्ट्रीट पर बारात सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक पहचान, सामाजिक समावेश और सांस्कृतिक ताकत की प्रतीक है। वहीं पाकिस्तान — कट्टरवाद, अस्थिरता और आतंकवाद के निरंतर आरोपों के कारण — खुद को अलग-थलग महसूस करता है। आज की दुनिया में असली शक्ति हथियार नहीं, लोगों का भरोसा, संस्कृति की स्वीकृति और सकारात्मक छवि है और इसमें भारत पाकिस्तान से मीलों आगे है।