स्पेशल सीबीआई कोर्ट में IRCTC घोटाले से जुड़े मामले में लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ सुनवाई की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। कोर्ट ने 28 फरवरी से 7 मार्च के बीच छह लगातार दिनों में दोनों पक्षों की दलीलों पर चर्चा करने का आदेश दिया है और इस अवधि में किसी भी कारण से सुनवाई स्थगित नहीं की जाएगी।
- दलीलों का आदान-प्रदान:
कोर्ट ने बताया कि पहले ही कुछ आरोपों पर सीबीआई द्वारा प्रारंभिक दलीलें सुनाई जा चुकी हैं। अब बचाव पक्ष के वकीलों को अपनी जवाबी दलीलों के लिए पूरी तैयारी के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है। - आरोप तय करने की प्रक्रिया:
यदि आरोप तय कर दिए जाते हैं, तो सीबीआई एक दिन में अपनी दलील पूरी कर लेगी और उसके बाद बचाव पक्ष अपनी प्रतिक्रिया पेश करेगा। इसके पश्चात कोर्ट यह फैसला करेगी कि आरोपियों के खिलाफ मुकदमा प्रारंभ किया जाए या नहीं, जिसके बाद गवाही की सुनवाई शुरू होगी। - मामले में पिछली देरी:
लालू यादव और उनके परिवार के खिलाफ आरोप तय करने के संबंध में पूर्व सरकारी कर्मचारी विनोद अस्थाना ने सर्वोच्च न्यायालय से स्टे प्राप्त कर लिया था, जिसके कारण मामला निचली अदालत में लटका हुआ था। अस्थाना ने सीबीआई द्वारा दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान रद्द करने की मांग की थी, लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय और बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। - सीबीआई के आरोप:
सीबीआई के अनुसार, लालू प्रसाद यादव ने 2004 से 2009 तक यूपीए सरकार में रेल मंत्री रहते हुए IRCTC होटलों के आवंटन में अनियमितताएँ कीं। आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए जमीन अपने नाम करवाई। राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर भी इसी घोटाले में शामिल होने के आरोप लगाए गए हैं, जबकि अन्य आरोपी में सरकारी अधिकारी और निजी कंपनियाँ भी शामिल हैं।
इस आदेश के तहत, सीबीआई अदालत ने कहा है कि 11 फरवरी के सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के मद्देनजर, आरोप तय करने के समय सभी मुद्दों को कोर्ट के समक्ष उठाया जा सकता है। इससे उम्मीद जताई जा रही है कि मामले में जल्द ही स्पष्टता आएगी और आरोपी पक्षों के खिलाफ आगे की कार्यवाही निर्धारित होगी।
टीकमगढ़: बोलेरो को बचाने के प्रयास में पलटा परचून से भरा ट्रक, ड्राइवर और 12 वर्षीय बच्चा घायल..यह भी पढ़े