BY: Yoganand Shrivastva
जब बात भारतीय सेना के पराक्रमी अफसरों की होती है, तो जनरल वी.के. सिंह का नाम शीर्ष पर आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने एक बॉलीवुड फिल्म ‘प्रहार’ में भी अभिनय किया था? यही नहीं, सेना में अपनी सेवा के बाद उन्होंने राजनीति में भी शानदार भूमिका निभाई और आज वह एक राज्य के राज्यपाल हैं। आइए जानते हैं इस बहुआयामी व्यक्तित्व के बारे में विस्तार से।
जब रियल लाइफ हीरो बना रील लाइफ एक्टर: फिल्म प्रहार की कहानी
फिल्म ‘प्रहार’ का परिचय:
- रिलीज वर्ष: 1991
- निर्देशक व अभिनेता: नाना पाटेकर
- मुख्य कलाकार: नाना पाटेकर, माधुरी दीक्षित, डिंपल कपाड़िया
- थीम: भारतीय सेना का शौर्य और समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष
‘प्रहार’ सिर्फ एक एक्शन ड्रामा नहीं थी, बल्कि यह फिल्म भारतीय सेना के शौर्य के साथ-साथ सामाजिक संदेश भी देती है। फिल्म में नाना पाटेकर ने मेजर चौहान की भूमिका निभाई है, जो सेना की सेवा के बाद आम समाज में बदलाव लाने का प्रयास करता है।
जनरल वी.के. सिंह की भूमिका: छोटा किरदार, बड़ा प्रभाव
हालांकि जनरल वी.के. सिंह पूरी फिल्म में नहीं नजर आते, लेकिन उनका एक महत्वपूर्ण कैमियो फिल्म को असली सैनिकों की भावना से जोड़ देता है।
उनकी उपस्थिति वाला सीन:
- एक टेबल मीटिंग में सेना के अधिकारी आतंकवादियों की योजना पर चर्चा कर रहे हैं
- नाना पाटेकर को मिशन के लिए चुना जाता है
- इस दौरान अधिकारी कहते हैं: “हमें उस जगह की कुछ स्लाइड्स मिली हैं। कर्नल वी.के. सिंह आपको एक्सप्लेन करेंगे।”
यह दृश्य एक हाईजैकिंग मिशन से जुड़ा है, जिसमें बच्चों को आतंकवादी बंधक बना लेते हैं और हर घंटे एक बच्चे को मारने की धमकी देते हैं।
पर्दे के पीछे की कहानी: असली अफसरों की मौजूदगी क्यों?
जनरल वी.के. सिंह ने एक इंटरव्यू में बताया था कि फिल्म के लिए कुछ प्रामाणिक सैन्य दृश्यों की जरूरत थी, जिसके लिए असली आर्मी अफसरों को बुलाया गया। नाना पाटेकर भी फिल्म की यथार्थता बनाए रखने के लिए रियल आर्मी अफसरों की भागीदारी चाहते थे।
नाना पाटेकर का सहयोग:
- नाना पाटेकर और वी.के. सिंह ने इस मिशन सीन में साथ काम किया
- वी.के. सिंह का रोल भले छोटा था, लेकिन उन्होंने एक परिपक्व और प्रभावशाली सैनिक की तरह काम किया
- फिल्म में उनका नाम भी वी.के. सिंह ही रखा गया
🇮🇳 सेना, सेवा और सियासत: वी.के. सिंह का बहुआयामी जीवन
जनरल वी.के. सिंह भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं और सेना से सेवानिवृत्ति के बाद भारतीय राजनीति में कदम रखा। वह केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं और अब एक राज्य के राज्यपाल के रूप में राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं।
उनकी उपलब्धियाँ:
- भारतीय सेना के पहले ऐसे प्रमुख जिन्होंने कानूनी तौर पर अपनी उम्र को लेकर सरकार से भिड़ंत की
- रक्षा और विदेश मंत्रालय में राज्यमंत्री रह चुके हैं
- भारतीय जनता पार्टी से सांसद रह चुके हैं
- अब राज्यपाल के रूप में संविधानिक पद पर कार्यरत हैं