शुतुरमुर्ग अवंतिका और मल्लिकार्जुन बने माता-पिता
जयपुर के चिड़ियाघर में 13 मार्च 2025 को इतिहास रचते हुए शुतुरमुर्ग के पहले सफल कैप्टिव प्रजनन (कैद में प्रजनन) की महत्वपूर्ण घटना दर्ज की गई। नर शुतुरमुर्ग मल्लिकार्जुन और मादा शुतुरमुर्ग अवंतिका के घर एक नन्हे शुतुरमुर्ग ने जन्म लिया, जिससे चिड़ियाघर के कर्मचारियों और वन्यजीव प्रेमियों में हर्ष की लहर दौड़ गई।
राजस्थान में पहली बार शुतुरमुर्ग का सफल प्रजनन
यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि यह राजस्थान में शुतुरमुर्ग का पहला सफल प्रजनन बताया जा रहा है। शुतुरमुर्ग का यह नवजात शावक पूरी तरह स्वस्थ है और उसका वजन लगभग डेढ़ से दो किलोग्राम के बीच है। उसका रंग गेहूंआ है, जो समय के साथ बदल सकता है।
चिड़ियाघर प्रशासन के अनुसार, इस सफलता के लिए विशेष देखभाल और अनुकूल वातावरण तैयार किया गया था, ताकि शुतुरमुर्गों को प्राकृतिक परिस्थितियों जैसा माहौल मिल सके। मादा अवंतिका और नर मल्लिकार्जुन को उचित आहार, पर्याप्त स्थान और शांत वातावरण प्रदान किया गया, जिससे यह प्रजनन संभव हो सका।
चिड़ियाघर प्रशासन की खुशी और भविष्य की योजना
जयपुर चिड़ियाघर के अधिकारियों ने इस उपलब्धि को वन्यजीव संरक्षण और प्रजनन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया है। अधिकारियों के अनुसार, यदि सब कुछ सही तरीके से चलता रहा तो आने वाले वर्षों में जयपुर चिड़ियाघर में और भी शुतुरमुर्गों के जन्म लेने की संभावना बढ़ सकती है।
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, कैद में शुतुरमुर्ग का प्रजनन चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि इसके लिए विशेष देखभाल और अनुकूल वातावरण की आवश्यकता होती है। लेकिन जयपुर चिड़ियाघर ने इस चुनौती को पार करते हुए एक नई मिसाल कायम की है।
वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को मिलेगी मजबूती
यह उपलब्धि केवल चिड़ियाघर के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान और भारत के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे यह साबित होता है कि सही देखभाल और अनुकूल परिस्थितियों के माध्यम से दुर्लभ और विदेशी पक्षियों एवं जानवरों का प्रजनन संभव है।
अब सभी की निगाहें इस नन्हे शुतुरमुर्ग पर हैं, जिसका स्वास्थ्य विशेषज्ञों की निगरानी में रखा गया है। जयपुर चिड़ियाघर प्रशासन इसे बड़े होते देखना चाहता है और उम्मीद करता है कि आने वाले समय में यह और भी शुतुरमुर्गों के प्रजनन में मददगार साबित होगा।