थनौद गांव में बाढ़ बनी मुसीबत, किसानों की फसलें बर्बाद
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के ग्राम थनौद में बाढ़ ने कहर बरपा रखा है। शिवनाथ नदी में मोगरा बैराज से छोड़े गए पानी और वन क्षेत्र से आ रहे तेज बहाव ने नदी और गांव के पास बहने वाले नाले को उफान पर ला दिया है। इसका सबसे बड़ा असर गांव के किसानों पर पड़ा है, जिनकी खड़ी फसलें पानी में डूब चुकी हैं।
भारतमाला प्रोजेक्ट पर किसानों का आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ की स्थिति पहले भी आती थी, लेकिन भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत गांव से सटी सड़क के निर्माण के बाद समस्या और बढ़ गई है। हाईवे की वजह से पानी का प्रवाह रुक गया है, जिससे खेतों में पानी जमा हो रहा है और कई दिनों तक निकल नहीं रहा।
“पिलर पर बनती सड़क तो बच सकती थी फसलें”
किसानों का सुझाव है कि यदि हाईवे को पिलर के सहारे बनाया जाता, तो बाढ़ का पानी आसानी से निकल जाता और खेतों को नुकसान नहीं होता। लेकिन मौजूदा सड़क निर्माण से जलभराव की समस्या गहरी हो गई है।
बाढ़ से रेस्क्यू, पर स्थायी समाधान नहीं
ग्राम थनौद में बीते दिनों SDRF की टीम ने 32 लोगों को बाढ़ से सुरक्षित निकाला। यह दिखाता है कि यह इलाका कितनी तेजी से बाढ़ की चपेट में आ जाता है। इसके बावजूद अब तक सड़क निर्माण में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
मुआवजा और बीमा की भी नहीं मिली राहत
ग्रामीणों का कहना है कि वे विकास के खिलाफ नहीं हैं। भारतमाला प्रोजेक्ट को वे एक सकारात्मक कदम मानते हैं, लेकिन इसकी योजना इस तरह बननी चाहिए जिससे ग्रामीणों को नुकसान न हो। उन्होंने बताया कि फसल बीमा होने के बावजूद उन्हें अब तक मुआवजा नहीं मिला है। हर साल फसलें बर्बाद होती हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस राहत नहीं मिलती।
सरकार से बदलाव की मांग
ग्रामीणों ने भारत सरकार और जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत सड़क निर्माण में बदलाव किया जाए, ताकि पानी की निकासी सुचारु हो सके और फसलें बच सकें।