रिपोर्टर: अमित वर्मा
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झारखंड के लोहरदगा जिले के हिसरी पंचायत में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी होने का बड़ा मामला सामने आया है। इस घोटाले में कई ऐसे लोगों को दस्तावेज़ दिए गए हैं, जिनका ना यहां जन्म हुआ, ना ही वे इस क्षेत्र के निवासी हैं। जिला प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं।
हिसरी पंचायत में हुआ फर्जीवाड़ा
- यह मामला किस्को प्रखंड के हिसरी पंचायत से जुड़ा है, जहां साल 2022 में 1000 से अधिक जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए।
- जिन व्यक्तियों को यह प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, वे झारखंड के खूंटी, रांची, पाकुड़, सरायकेला, हजारीबाग और दुमका जिलों के निवासी बताए गए हैं।
- जांच में सामने आया कि इन सभी लोगों का जन्म हिसरी पंचायत में नहीं हुआ है।
मुखिया ने खोली पोल
- हिसरी पंचायत के मुखिया रवि उरांव को जब इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिली, तो उन्होंने मामले की खुद जांच शुरू की।
- जांच में 15 ऐसे प्रमाण पत्र मिले, जो झारखंड के अन्य जिलों के लोगों के लिए जारी किए गए थे।
- इन प्रमाण पत्रों में जिनके नाम हैं, वे पंचायत क्षेत्र के किसी भी गांव के निवासी नहीं हैं।
अधिकारियों से शिकायत, उपायुक्त को सौंपा आवेदन
- रवि उरांव ने पहले पंचायती राज पदाधिकारी को मामले की जानकारी दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
- इसके बाद उन्होंने लोहरदगा के उपायुक्त डॉ. ताराचंद को लिखित रूप में आवेदन देकर पूरे घोटाले की जानकारी दी।
- मुखिया ने जन्म प्रमाण पत्रों की छायाप्रति भी साक्ष्य के तौर पर जिला प्रशासन को सौंपी।
प्रशासन की सख्ती, तीन सदस्यीय जांच समिति गठित
- मामले को गंभीर मानते हुए जिला जनसंपर्क कार्यालय के माध्यम से प्रशासन ने आधिकारिक बयान जारी किया।
- प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है, जो इस फर्जीवाड़े की तह तक जाएगी।
- उपायुक्त डॉ. ताराचंद ने कहा:
“मामले को संज्ञान में लिया गया है और जांच की जा रही है। जांच समिति से जो तथ्य सामने आएंगे, उन्हें सार्वजनिक किया जाएगा।”
क्यों है यह मामला अहम?
- जन्म प्रमाण पत्र एक महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज होता है, जिसका इस्तेमाल शिक्षा, पहचान पत्र, पासपोर्ट, मतदाता पहचान और सरकारी योजनाओं में किया जाता है।
- अगर यह दस्तावेज गलत या फर्जी आधार पर जारी हो जाए, तो इससे राष्ट्रीय सुरक्षा, जनसंख्या डेटा और प्रशासनिक व्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है।
लोहरदगा का यह मामला सिर्फ एक पंचायत तक सीमित नहीं हो सकता। यह एक बड़े नेटवर्क की ओर इशारा करता है, जहां फर्जी दस्तावेज बनाकर लोगों को लाभ पहुंचाया गया है। जिला प्रशासन की सक्रियता सराहनीय है, लेकिन जांच की निष्पक्षता और पारदर्शिता भी उतनी ही जरूरी है।