90वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया था जिसमें तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने एक भावुक अपील की। उन्होंने युद्धों से उपजे दुख पर चिंता जताते हुए कहा कि करुणा और संवाद ही किसी भी संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने का रास्ता दिखाते हैं।
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स्मृति समारोह में पढ़ा गया दलाई लामा का संदेश
- दलाई लामा का यह संदेश धर्मशाला से आए एक भिक्षु ने नई दिल्ली में आयोजित एक स्मृति समारोह में पढ़कर सुनाया।
- समारोह में देश-विदेश से आए बौद्ध विद्वानों, शोधकर्ताओं और धार्मिक नेताओं ने भाग लिया।
- यह आयोजन 14वें दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में किया गया था।
“कथित दुश्मन भी इंसान हैं”
दलाई लामा ने अपने संदेश में कहा:
“अगर हम यह स्वीकार कर लें कि हमारे ‘कथित दुश्मन’ भी हमारी तरह इंसान हैं, तो हम सबसे कठिन संघर्षों का भी समाधान शांतिपूर्वक खोज सकते हैं।”
उन्होंने करुणा, सौहार्द, और परोपकार के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि आज दुनिया को सबसे ज्यादा इन्हीं मूल्यों की जरूरत है।
युद्धों से दुखी, शांति की कामना
- दलाई लामा ने कहा कि युद्धों में होने वाला दुख उन्हें गहराई से व्यथित करता है।
- उन्होंने शांति और समझदारी के लिए सामूहिक प्रयासों की अपील की।
- उनका यह बयान दुनिया में जारी संघर्षों की पृष्ठभूमि में विशेष महत्व रखता है।
भारत से विशेष संबंध और ज्ञान परंपरा की सराहना
- दलाई लामा ने भारत के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि “मैं इस देश के साथ एक विशेष निकटता महसूस करता हूं।“
- उन्होंने कहा कि अगर भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को आधुनिक शिक्षा से जोड़ा जाए, तो यह दुनिया में व्यापक शांति ला सकती है।
विज्ञान और बौद्ध दर्शन का मेल
- दलाई लामा ने यह भी बताया कि वैज्ञानिक समुदाय बौद्ध धर्म की मानसिक और भावनात्मक अवधारणाओं में रुचि ले रहा है।
- उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया कि मुख्य भूमि चीन में भी बौद्ध धर्म के प्रति रुचि बढ़ रही है।
विरासत पर आधारित प्रदर्शनी और फिल्म
- समारोह में दलाई लामा के जीवन पर आधारित एक विशेष फिल्म दिखाई गई।
- साथ ही एक दुर्लभ फोटो प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें उनके बचपन, जवाहरलाल नेहरू और डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ ली गई तस्वीरें शामिल थीं।
- बुद्ध के जीवन और उनसे जुड़े स्थलों पर आधारित प्रदर्शनी ने दर्शकों को आकर्षित किया।
वैश्विक भागीदारी और सहभागिता
- इस सम्मेलन में थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, अमेरिका, और ब्रिटेन जैसे देशों के बौद्ध विद्वानों और भिक्षुओं ने हिस्सा लिया।
- अशोक होटल, नई दिल्ली में आयोजित यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और बौद्ध परंपरा को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर बना।
दलाई लामा ने कहा कि वह अपने शेष जीवन को दूसरों की सेवा में समर्पित करते हैं। उनका यह संदेश आज के उथल-पुथल भरे समय में न सिर्फ बौद्ध अनुयायियों, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा है।