दक्षिण पूर्व एशिया के दो बौद्ध बहुल राष्ट्र कंबोडिया और थाईलैंड के बीच का सीमा विवाद अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है। एक हज़ार साल पुराने शिव मंदिर के स्वामित्व को लेकर शुरू हुआ यह तनाव अब फाइटर जेट, मिसाइल हमलों और राजनयिक संबंधों के टूटने तक जा पहुंचा है।
इस युद्ध को विश्लेषक “दुनिया के चौथे मोर्चे” की तरह देख रहे हैं। हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं, और इसका असर क्षेत्रीय स्थिरता पर पड़ने लगा है।
क्या है विवाद की असली वजह?
- विवादित मंदिर का नाम है “प्रेह विहेयर” (Preah Vihear)
- इसे 9वीं सदी में खमेर सम्राट सूर्यवर्मन ने भगवान शिव को समर्पित कर बनवाया था।
- 1962 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने इस मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा बताया था।
- थाईलैंड का तर्क है कि मंदिर के आसपास की ज़मीन उसकी है, जबकि कंबोडिया इसे पूरी तरह अपना मानता है।
धार्मिक स्थल अब राजनीति और सैन्य शक्ति का केंद्र बन चुका है।
कैसे भड़की जंग: गोली से लेकर फाइटर जेट तक
- शुरुआत सीमा पर गोलीबारी से हुई थी।
- दो घंटे के भीतर हालात बिगड़ गए और रॉकेट और आर्टिलरी अटैक होने लगे।
- थाईलैंड ने जवाब में F-16 लड़ाकू विमानों से कंबोडिया पर बमबारी शुरू की।
- हमलों में अब तक कई सैन्य ठिकानों और नागरिक इलाकों को नुकसान पहुंचा है।
दोनों देशों के हमले और जवाबी कार्रवाई
कंबोडिया के हमले:
- BM-21 Grad Multiple Rocket Launchers से थाईलैंड पर हमला
- हाईवे पर रॉकेट शेल्स गिरने की पुष्टि
- मिलिट्री बेस और अस्पतालों को निशाना बनाया गया
थाईलैंड की जवाबी कार्रवाई:
- ऑपरेशन “Yuttha Bodin” की शुरुआत
- 6 F-16 विमानों ने कंबोडिया के सैन्य ठिकानों पर तीन राउंड बमबारी की
- दावा: कंबोडिया के दो बड़े मिलिट्री बेस बुरी तरह तबाह
अब तक 12 की मौत, हजारों लोगों का पलायन
- थाईलैंड का दावा: 12 नागरिकों की मौत, 14 घायल
- 86 गांवों से करीब 40 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया
- सिसाकेट क्षेत्र में भीषण बमबारी, एक गैस स्टेशन पूरी तरह तबाह
राजनयिक संबंध भी टूटे
- कंबोडिया ने थाईलैंड के राजदूत को वापस भेजा
- थाईलैंड ने भी कंबोडिया के राजनयिकों को देश से निकाला
- कंबोडिया के प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आपात बैठक की मांग की
विस्फोट से भड़का तनाव
- जंग से एक दिन पहले थाई सीमा पर लैंडमाइन विस्फोट में चार सैनिक घायल
- थाईलैंड का आरोप: कंबोडिया ने उनकी सीमा में ड्रोन और सैनिक भेजे
- इसके बाद दोनों देशों के बीच सीधी गोलीबारी शुरू हो गई
दोनों देशों के आरोप-प्रत्यारोप
- कंबोडिया का आरोप: थाई सैनिकों ने सीमा समझौते का उल्लंघन किया, मंदिर के पास कंटीले तार लगाए
- थाईलैंड का जवाब: कंबोडिया ने ड्रोन भेजकर निगरानी शुरू की
- थाई विदेश मंत्रालय ने कंबोडिया को चेतावनी दी: “यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन और सद्भाव के सिद्धांतों के खिलाफ है।”
क्या चीन भी इस युद्ध का हिस्सा है?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस जंग के पीछे चीन की भूमिका हो सकती है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस युद्ध को रणनीतिक रूप से बढ़ावा दे रहे हैं। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस युद्ध से पूरा क्षेत्र अस्थिर हो सकता है।
क्या यह युद्ध रुक पाएगा?
थाईलैंड और कंबोडिया का यह टकराव सिर्फ एक मंदिर का विवाद नहीं है, बल्कि इसके पीछे राजनीति, क्षेत्रीय दबदबा और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप भी है। अगर युद्ध जल्द नहीं रुका, तो यह पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया की शांति के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।