पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2026 नजदीक हैं और इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने अनुभवी नेता और राज्यसभा सांसद समिक भट्टाचार्य को प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामित किया है। भट्टाचार्य न केवल संगठन में मजबूत पकड़ रखते हैं, बल्कि उनकी सुलझी हुई छवि विपक्षी नेताओं के बीच भी सराही जाती है।
समिक भट्टाचार्य को क्यों चुना गया बंगाल BJP अध्यक्ष?
भाजपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने संगठन में मजबूती लाने और अंदरूनी गुटबाजी खत्म करने के मकसद से भट्टाचार्य को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। मौजूदा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार की जगह लेने वाले भट्टाचार्य को केंद्रीय नेतृत्व का पूरा भरोसा हासिल है।
इन कारणों से बने मजबूत दावेदार:
- केंद्रीय और राज्य नेतृत्व के प्रति निष्ठा
- पार्टी के सभी गुटों के साथ मधुर संबंध
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से करीबी जुड़ाव
- व्यक्तिगत हमलों से दूरी, संयमित सार्वजनिक छवि
- संवाद कौशल और जमीनी कार्यकर्ताओं से संपर्क
कौन हैं समिक भट्टाचार्य? जानिए उनका राजनीतिक सफर
61 वर्षीय समिक भट्टाचार्य का राजनीतिक सफर चार दशक से भी ज्यादा लंबा है। उन्होंने 1971 में हावड़ा में आरएसएस से अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की और धीरे-धीरे भाजपा की मुख्यधारा में शामिल हो गए।
अब तक की प्रमुख उपलब्धियां:
- भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के दक्षिण हावड़ा मंडल के महासचिव
- हावड़ा जिले के महासचिव
- BJYM के राज्य महासचिव के रूप में 11 वर्षों तक सेवा
- तीन बार पश्चिम बंगाल भाजपा के महासचिव
- 2014 में बशीरहाट दक्षिण से विधायक चुने गए
- वर्तमान में राज्यसभा सांसद
भट्टाचार्य अपने प्रभावशाली भाषण कौशल के लिए जाने जाते हैं। यहां तक कि विपक्षी नेता सूर्यकांत मिश्रा (CPI-M) ने भी विधानसभा में उन्हें बोलने का अतिरिक्त समय दिया था, जब 2014-16 के दौरान वे भाजपा के एकमात्र विधायक थे।
गुटबाजी खत्म करना सबसे बड़ी चुनौती
पश्चिम बंगाल भाजपा लंबे समय से अंदरूनी गुटबाजी से जूझ रही है। समिक भट्टाचार्य को एकजुटता लाना और सभी गुटों के बीच संतुलन साधना होगा। वरिष्ठ भाजपा नेताओं का मानना है कि उनके नेतृत्व में पार्टी बेहतर तालमेल के साथ 2026 के विधानसभा चुनाव में उतर सकेगी।
राजनीतिक जीवन से इतर, कविताओं के भी हैं शौकीन
राजनीति के साथ-साथ भट्टाचार्य साहित्य प्रेमी भी हैं। वे अक्सर शंख घोष और शक्ति चट्टोपाध्याय जैसे बंगाल के प्रसिद्ध कवियों की रचनाएं उद्धृत करते हैं। हालांकि 2017 में प्रधानमंत्री आवास योजना में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में राज्य CID ने उन्हें तलब किया था, लेकिन इस मामले में उन पर कोई गंभीर आरोप सिद्ध नहीं हुए।
2026 चुनाव से पहले BJP का फोकस
भाजपा ने पश्चिम बंगाल को अगले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिहाज से बेहद अहम माना है। इसी रणनीति के तहत संगठनात्मक ढांचे को दुरुस्त करने की कवायद तेज की गई है।
भट्टाचार्य के कंधों पर भारी जिम्मेदारी है:
✅ गुटबाजी पर काबू
✅ जमीनी कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद
✅ राज्य में भाजपा की साख बढ़ाना
✅ विपक्षी रणनीतियों का जवाब तैयार करना
निष्कर्ष: क्या बदल सकता है भट्टाचार्य का नेतृत्व?
समिक भट्टाचार्य के अनुभव, स्वीकार्यता और संवाद कौशल भाजपा को बंगाल में नया मुकाम दिला सकते हैं। हालांकि उनके सामने चुनौतियां कम नहीं हैं, लेकिन अगर वे संगठन में एकता ला पाते हैं तो पार्टी का प्रदर्शन 2026 के चुनाव में बेहतर हो सकता है।