भिंड, मध्य प्रदेश:
भिंड जिले में एक बीएड-डीएड कॉलेज से जुड़ा करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया है। आरोप है कि समिति के ही सदस्यों ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे संस्थापक को हटाकर बैंक खातों से ₹2.43 करोड़ निकाल लिए। मामले में अब धोखाधड़ी और धमकी की धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
सिद्धि विनायक कॉलेज बना घोटाले का केंद्र
घटना देहात थाना क्षेत्र के मानपुरा-बाराकलां गांव के पास स्थित सिद्धि विनायक डीएड, बीएड कॉलेज से जुड़ी है। इस कॉलेज का संचालन महेश सिंह मेमोरियल शिक्षा एवं समाज कल्याण समिति द्वारा किया जाता है।
समिति के संस्थापक और पूर्व कोषाध्यक्ष राहुल प्रताप सिंह भदौरिया ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि उनके साथ ही जुड़े अन्य सदस्यों ने मिलकर यह घोटाला किया।
कैसे हुआ घोटाला: फर्जी दस्तावेज और बैंक से मिलीभगत
- समिति की स्थापना 2006 में हुई थी राहुल प्रताप, मोनिका कुशवाह, लक्ष्यवीर उर्फ वीरू, दिव्यांश कुशवाह और कुसुम कुशवाह द्वारा।
- शुरुआती फंडिंग: राहुल ने निजी रूप से ₹26 लाख लगाए और परिचितों से ₹4-4 लाख जुटाकर कुल रकम ₹2.43 करोड़ तक पहुंचाई।
- साजिश की शुरुआत: 2021 में राहुल को RTI के जरिए पता चला कि उन्हें कोषाध्यक्ष पद से हटा दिया गया है, जबकि इसकी कोई सूचना उन्हें नहीं दी गई।
- नकली हस्ताक्षर का खेल: आरोपियों ने बैंक मैनेजर से मिलीभगत कर राहुल के स्थान पर कुसुम कुशवाह के हस्ताक्षर को अधिकृत करवा लिया।
- बैंक खातों से निकाला गया पूरा पैसा, और संस्थापक को भनक तक नहीं लगी।
- जब राहुल ने विरोध किया, तो उन्हें जान से मारने की धमकियाँ दी गईं।
पुलिस कार्रवाई: धोखाधड़ी और धमकी की धाराओं में केस दर्ज
भिंड पुलिस ने आरोपियों:
- मोनिका कुशवाह
- लक्ष्यवीर उर्फ वीरू
- दिव्यांश कुशवाह
- कुसुम कुशवाह
के खिलाफ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120B (षड्यंत्र) और 506 (धमकी) के तहत केस दर्ज किया है।
टीआई मुकेश शाक्य ने बताया कि मामले की जांच जारी है और जल्द ही आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
🔍 क्या है आपकी जानकारी का महत्व?
- यह मामला दर्शाता है कि शैक्षणिक संस्थाओं में वित्तीय पारदर्शिता कितनी ज़रूरी है।
- निजी निवेश और संस्थागत संचालन में दस्तावेजों की वैधता की पुष्टि करना बेहद आवश्यक है।
- अगर आप भी किसी समिति से जुड़े हैं, तो समय-समय पर RTI, बैंक खातों और कानूनी कागज़ों की निगरानी करें।
📝 निष्कर्ष
भिंड का यह घोटाला न केवल शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण है, बल्कि यह भी चेतावनी देता है कि अपने संस्थागत अधिकारों और वित्तीय गतिविधियों पर नजर रखना क्यों जरूरी है। इस मामले की जांच से जुड़े निष्कर्ष आने वाले समय में और भी कई परतों को उजागर कर सकते हैं।