मध्य प्रदेश सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए MP 90 डिग्री ब्रिज प्रोजेक्ट रद्द कर दिए हैं। दरअसल, भोपाल में बने 90 डिग्री एंगल के ब्रिज और अन्य शहरों में ब्रिज डिजाइनों को लेकर उठे सवालों के बाद अब सरकार ने प्रदेश भर के 355 निर्माणाधीन पुल और ओवरब्रिज प्रोजेक्ट्स की डिज़ाइन निरस्त कर दी है। इन प्रोजेक्ट्स पर 1000 करोड़ से अधिक की लागत प्रस्तावित थी।
🏗️ क्यों उठे सवाल 90 डिग्री ब्रिजों पर?
भोपाल में बने एक 90 डिग्री ब्रिज की डिज़ाइन को लेकर जब स्थानीय स्तर पर तकनीकी खामियां सामने आईं, तब इस विषय पर व्यापक चर्चा शुरू हुई। इंदौर में बन रहा Z-शेप ब्रिज और बुरहानपुर में बना 87 डिग्री मोड़ वाला पुल भी इसी बहस का हिस्सा बन गया। इन सभी उदाहरणों से स्पष्ट हुआ कि राज्य में कई ब्रिज डिजाइनों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी हुई है।
📌 मुख्य कारण:
- तीव्र कोण पर मुड़ते पुल, जो वाहन चालकों के लिए जोखिमपूर्ण हो सकते हैं।
- डिज़ाइन में ट्रैफिक लोड, रफ्तार और मोड़ के समन्वय की कमी।
- निर्माण से पहले पर्याप्त भू-तकनीकी अध्ययन न किया जाना।
📉 355 फ्लाईओवर और ROB की डिजाइन रद्द
लोक निर्माण विभाग (PWD) ने इन सभी परियोजनाओं की जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। अब तक प्रदेश में कुल:
- 250 बड़े पुल
- 100 रेलवे ओवरब्रिज (ROB)
- 5 एलिवेटेड कॉरिडोर
प्रस्तावित या निर्माणाधीन थे, जिनमें अब दोबारा डिज़ाइन समीक्षा की जाएगी।
🔍 दोबारा होगी जांच
इन सभी 355 प्रोजेक्ट्स की तकनीकी समीक्षा एक विशेषज्ञ समिति द्वारा की जाएगी। जब तक नई समीक्षा रिपोर्ट नहीं आती, तब तक सभी निर्माण कार्य पूरी तरह से रोक दिए गए हैं।
🏙️ किन जिलों में सामने आई खामियां?
ज़िला | ब्रिज डिटेल |
---|---|
भोपाल | 90 डिग्री ब्रिज |
इंदौर | Z-आकार ब्रिज निर्माण |
बुरहानपुर | 87 डिग्री टर्न वाला ब्रिज |
इन ब्रिजों में सामने आई खामियों ने पूरे राज्य में ब्रिज सुरक्षा मानकों को लेकर गंभीर चिंता पैदा की है।
🗣️ CM मोहन यादव ने दिए सख्त निर्देश
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इन घटनाओं का संज्ञान लेते हुए PWD को सभी प्रोजेक्ट्स की गहन तकनीकी जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि किसी भी प्रोजेक्ट की मंजूरी अब बिना वैज्ञानिक और ट्रैफिक आधारित मूल्यांकन के नहीं दी जाएगी।
🏗️ क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
“90 डिग्री ब्रिज सिर्फ डिज़ाइन में ही नहीं, ट्रैफिक की सुरक्षा के लिहाज़ से भी खतरनाक साबित हो सकते हैं। इन्हें सिर्फ विशेष परिस्थितियों में ही मंजूरी मिलनी चाहिए,”
— सड़क संरचना विशेषज्ञ डॉ. आर.के. तिवारी
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