ब्रिटिश रॉयल नेवी का अत्याधुनिक F-35B स्टील्थ फाइटर जेट, जो पिछले एक महीने से तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर खड़ा था, अब उड़ान भरने के लिए पूरी तरह तैयार है। तकनीकी खराबी और ईंधन की कमी के चलते इसे 14 जून को इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी। अब इसकी सभी तकनीकी समस्याएं सफलतापूर्वक ठीक कर ली गई हैं।
क्या थी तकनीकी खराबी?
F-35B में शुरुआत में दो बड़ी समस्याएं सामने आई थीं:
- हाइड्रोलिक सिस्टम में खराबी: यह सिस्टम ब्रेक और लैंडिंग गियर जैसे जरूरी भागों को नियंत्रित करता है।
- ऑक्सिलरी पावर यूनिट (APU) की विफलता: यह यूनिट विमान के सिस्टम्स को बिजली सप्लाई करती है, खासतौर से जब मेन इंजन बंद होता है।
इंजीनियरों की टीम ने कई असफल प्रयासों के बाद इन दोनों समस्याओं को ठीक किया। अब विमान उड़ान के लिए पूरी तरह फिट है।
सभी टेस्ट हुए सफल
मरम्मत के बाद F-35B को एयरपोर्ट के हैंगर से बाहर निकाला गया और इसके इंजन की परफॉर्मेंस का परीक्षण किया गया। इसके लिए:
- सैंडब्लास्ट फैसिलिटी का इस्तेमाल कर इंजन की रफ्तार और दबाव का परीक्षण किया गया।
- सभी फ्लाइट रेडी चेक्स पास कर लिए गए हैं।
अब विमान के ब्रिटेन लौटने की तैयारी चल रही है।
क्यों हुई थी इमरजेंसी लैंडिंग?
14 जून को, F-35B अरब सागर में हो रहे एक सैन्य अभ्यास के दौरान उड़ रहा था। तभी ईंधन की कमी के कारण पायलट को भारत सरकार से इजाजत लेकर तिरुवनंतपुरम में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी।
लैंडिंग के बाद सामने आई तकनीकी खामी को ठीक करने में इंजीनियरों को काफी वक्त लगा। अब जाकर यह मरम्मत सफल हुई है।
C-17 ग्लोबमास्टर लाएगा जरूरी उपकरण
ब्रिटिश सेना का C-17 Globemaster विमान बुधवार को तिरुवनंतपुरम पहुंचेगा। इसका मकसद फाइटर जेट की मरम्मत में इस्तेमाल हुए उपकरणों और पार्ट्स को वापस ले जाना है। इससे पहले यह अटकलें थीं कि यह विमान F-35B को खोलकर ब्रिटेन ले जाएगा, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
F-35B: एक नजर में
- निर्माता कंपनी: लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin), अमेरिका की सबसे बड़ी डिफेंस सप्लायर।
- खासियत: स्टील्थ तकनीक, वर्टिकल टेकऑफ-लैंडिंग क्षमता।
- हालिया दिक्कतें: नई रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर अपग्रेड में चुनौतियाँ आ रही हैं, जिससे अमेरिकी सरकार को समय पर डिलीवरी नहीं मिल पा रही।
F-35B की मरम्मत सफल रही है और अब वह जल्द ही अपनी मूल लोकेशन के लिए रवाना होगा। तिरुवनंतपुरम से टेकऑफ करने से पहले इसके सभी परीक्षण पूरे हो चुके हैं। C-17 ग्लोबमास्टर की मदद से अंतिम लॉजिस्टिक कार्य पूरे किए जा रहे हैं।