BY: Yoganand Shrivastva
गाज़ा, गाज़ा पट्टी पर हुए ताज़ा इज़रायली हवाई हमलों में कम से कम 20 फिलिस्तीनी नागरिकों की जान चली गई है। मृतकों में सात मासूम बच्चे और कई महिलाएं शामिल हैं। यह हमले शुजाईया और अल-तुफा जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में किए गए, जिससे स्थानीय आबादी में भय और अफरा-तफरी का माहौल है। घायल नागरिकों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, वहीं बचाव कार्य जारी हैं।
गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन मौतों की पुष्टि करते हुए बताया कि बड़ी संख्या में आम नागरिक इस बमबारी की चपेट में आए हैं। चश्मदीदों के अनुसार, यह हमले आवासीय क्षेत्रों को सीधे निशाना बनाकर किए गए थे। हालांकि, इज़रायली सेना का दावा है कि उनका निशाना केवल हमास के आतंकी ठिकाने थे और नागरिकों की मौत एक “दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम” है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध और चिंता
संयुक्त राष्ट्र और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि हालात पर जल्द काबू नहीं पाया गया, तो यह टकराव एक भयावह मानवीय आपदा का रूप ले सकता है। पहले से ही गाज़ा में खाने-पीने की चीजों, दवाइयों और बिजली की भारी कमी है, और इस ताजा हिंसा ने हालात को और बदतर बना दिया है।
संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) जैसे वैश्विक निकायों ने युद्धविराम और स्थायी समाधान की अपील की है। मगर ज़मीनी स्तर पर हिंसा का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा है।
आगे की राह क्या होगी?
गाज़ा में बिगड़ते हालात ने एक बार फिर इस क्षेत्र में स्थायी शांति की आवश्यकता को उजागर किया है। जब तक नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाती और राजनीतिक संवाद को बल नहीं मिलता, तब तक इस तरह की घटनाएं मानवीय त्रासदी को गहराती रहेंगी।