by: vijay nandan
क्या आप जानते हैं यष्टिमधु के चमत्कारी गुण?
प्राचीन आयुर्वेद से लेकर आधुनिक विज्ञान तक, यष्टिमधु या Liquorice एक ऐसी औषधि है जो स्वास्थ्य लाभों की खान मानी जाती है। चाहे वह गले की खराश हो या पाचन की समस्या, यष्टिमधु का उपयोग सदियों से किया जा रहा है। इसकी मीठी जड़ न केवल स्वाद में मनमोहक होती है, बल्कि शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति भी देती है।
आज के इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे यष्टिमधु क्या है, इसके क्या प्रमुख फायदे हैं, किस तरह से इसका उपयोग किया जाता है और किन सावधानियों का पालन आवश्यक है।
मुलेठी-यष्टिमधु (Liquorice) क्या है?
यष्टिमधु, जिसे अंग्रेजी में Liquorice या Licorice Root कहा जाता है, एक जड़ी-बूटी है जिसकी जड़ का उपयोग औषधीय रूप से किया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम है Glycyrrhiza glabra। यह मुख्य रूप से भारत, यूरोप और एशिया में पाई जाती है।

यष्टिमधु के औषधीय गुण
यष्टिमधु में कई ऐसे तत्व होते हैं जो इसे एक शक्तिशाली प्राकृतिक औषधि बनाते हैं:
- ग्लाइसीरिज़िन (Glycyrrhizin) – सूजन और वायरस से लड़ने में सहायक
- एंटीऑक्सीडेंट्स – कोशिकाओं को फ्री-रेडिकल्स से बचाते हैं
- एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल तत्व – संक्रमण से सुरक्षा देते हैं
- एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण – सूजन और दर्द को कम करने में सहायक
यष्टिमधु के स्वास्थ्य लाभ
1. गले की खराश और खांसी में राहत
यष्टिमधु का सेवन गले को चिकनाई प्रदान करता है और खराश में आराम देता है। इसकी चाय या काढ़ा बेहद असरदार होता है।
2. पेट और पाचन तंत्र के लिए उपयोगी
- एसिडिटी और अल्सर में राहत
- पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है
- अपच और गैस की समस्या को दूर करता है
3. इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है
इसके एंटीवायरल गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे आम बीमारियों से बचाव होता है।
4. त्वचा के रोगों में लाभकारी
- एक्जिमा, सोरायसिस और मुंहासों में लाभदायक
- त्वचा की सूजन और जलन को कम करता है
5. मानसिक तनाव और थकान में राहत
यष्टिमधु तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और मानसिक तनाव कम करता है। यह थकान और कमजोरी में भी सहायक है।
यष्टिमधु का उपयोग कैसे करें?
- चूर्ण (पाउडर) रूप में – गुनगुने पानी या शहद के साथ
- चाय या काढ़ा – अदरक और तुलसी के साथ मिलाकर
- त्वचा पर लेप – त्वचा रोगों के लिए
- कैंडी/लॉज़ेंज के रूप में – गले के संक्रमण में
उपयोग में सावधानियाँ
- उच्च रक्तचाप (High BP) वाले लोग डॉक्टर की सलाह से ही सेवन करें
- अधिक मात्रा में सेवन से सिरदर्द, सूजन और पोटैशियम की कमी हो सकती है
- गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से पहले चिकित्सक की राय लेनी चाहिए
यष्टिमधु एक बहुपयोगी आयुर्वेदिक औषधि है जो न केवल सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं में राहत देती है, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाती है। इसकी नियमित और संतुलित खुराक से आप अनेक रोगों से प्राकृतिक रूप से बच सकते हैं।
यदि आप अपने जीवन में प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाना चाहते हैं, तो यष्टिमधु आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।
FAQ: यष्टिमधु से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1. क्या यष्टिमधु का सेवन रोज़ किया जा सकता है?
A. सीमित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह से नियमित सेवन किया जा सकता है।
Q2. क्या यष्टिमधु बच्चों के लिए सुरक्षित है?
A. हां, लेकिन कम मात्रा में और विशेषज्ञ की राय से ही दें।
Q3. क्या यष्टिमधु डायबिटिक मरीज ले सकते हैं?
A. इसमें प्राकृतिक शर्करा होती है, इसलिए मधुमेह के रोगी सावधानीपूर्वक इसका सेवन करें।