उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया
भारत में उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया संविधान द्वारा निर्धारित की गई है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 217 और अनुच्छेद 124 (4) के अंतर्गत आता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को कैसे हटाया जा सकता है।
हटाने के कारण
संविधान के अनुसार, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को निम्नलिखित कारणों से हटाया जा सकता है:
- दुर्व्यवहार (Misbehaviour): यदि न्यायाधीश के आचरण में कोई गंभीर अनैतिकता पाई जाती है।
- अक्षमता (Incapacity): यदि न्यायाधीश मानसिक या शारीरिक रूप से अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हो।
हटाने की प्रक्रिया
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया जटिल और सख्त होती है। इसके लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करना पड़ता है:
- आवेदन पत्र (Notice of Motion):
- संसद के किसी भी सदन में हटाने के लिए एक नोटिस दिया जा सकता है।
- यह नोटिस लोकसभा के कम से कम 100 सदस्य या राज्यसभा के कम से कम 50 सदस्य द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए।
- जांच समिति का गठन (Formation of Inquiry Committee):
- नोटिस प्राप्त होने के बाद, सभापति (राज्यसभा में) या अध्यक्ष (लोकसभा में) एक तीन-सदस्यीय समिति का गठन करते हैं। यह समिति निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनती है:
- एक सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश।
- एक उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश।
- एक प्रतिष्ठित न्यायविद।
- नोटिस प्राप्त होने के बाद, सभापति (राज्यसभा में) या अध्यक्ष (लोकसभा में) एक तीन-सदस्यीय समिति का गठन करते हैं। यह समिति निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनती है:
- जांच प्रक्रिया (Investigation Process):
- समिति आरोपों की जांच करती है और सबूतों का मूल्यांकन करती है।
- यदि समिति आरोपों को सही पाती है, तो वह एक रिपोर्ट तैयार करती है और उसे संबंधित सदन को सौंप देती है।
- मतदान (Voting):
- अगर समिति की रिपोर्ट में आरोप सही पाए जाते हैं, तो उस रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों में पारित किया जाना चाहिए।
- यह प्रस्ताव संसद के प्रत्येक सदन में उपस्थित सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत द्वारा पारित होना चाहिए।
- राष्ट्रपति की स्वीकृति (President’s Approval):
- संसद द्वारा प्रस्ताव पारित होने के बाद, राष्ट्रपति की स्वीकृति ली जाती है।
- राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद न्यायाधीश को हटा दिया जाता है।
अब तक के उदाहरण
भारत के इतिहास में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने का मामला बहुत ही दुर्लभ है। इसकी प्रक्रिया को इतना कठिन और पारदर्शी बनाया गया है कि केवल गंभीर मामलों में ही न्यायाधीश को हटाया जा सके।
निष्कर्ष
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया संविधान द्वारा संरक्षित की गई है ताकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता बनी रहे। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी न्यायाधीश को बिना किसी ठोस कारण के पद से नहीं हटाया जा सकता।