BY: Yoganand Shrivastva
बेंगलुरु, कर्नाटक की राजनीति में उस समय नया मोड़ आ गया जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की एक पुरानी विवादास्पद घटना फिर चर्चा में आ गई। एक वीडियो में मुख्यमंत्री को मंच से एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पर हाथ उठाते हुए देखा गया था। इस अपमानजनक क्षण के बाद संबंधित अधिकारी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) नारायण बरमणि, ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) की मांग कर दी है।
चार साल पहले ही रिटायरमेंट, फिर भी नौकरी छोड़ने का निर्णय
31 वर्षों की सेवा पूरी कर चुके ASP नारायण बरमणि का कार्यकाल अब भी चार साल शेष है। लेकिन वायरल वीडियो के बाद उन्होंने खुद को अपमानित महसूस करते हुए सरकार को VRS के लिए आवेदन भेज दिया। उन्होंने यह कदम आत्मसम्मान को ठेस पहुंचने के कारण उठाया है।
सरकार का रुख नरम, ASP को मनाने की कोशिशें तेज
घटना के तूल पकड़ने के बाद कर्नाटक सरकार हरकत में आ गई है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के निर्देश पर गृह मंत्री जी. परमेश्वर और संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने ASP बरमणि से व्यक्तिगत तौर पर संपर्क किया और मनाने का प्रयास किया।
सूत्रों के अनुसार, बेलगावी जिले में उन्हें डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (DCP) पद की पेशकश की गई है ताकि वे VRS का फैसला वापस लें। सरकार चाहती है कि अधिकारी अपनी सेवाएं जारी रखें।
सरकार ने दी सफाई, कहा ‘कोई गलत इरादा नहीं था’
गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मुख्यमंत्री का इरादा अपमान करने का नहीं था। हमने नारायण से बात की है और उन्हें भरोसा दिलाया है कि उन्हें उचित पदस्थापना दी जाएगी। हम चाहते हैं कि वे सेवा में बने रहें।” उन्होंने यह भी बताया कि मंत्री एच.के. पाटिल भी ASP से व्यक्तिगत रूप से मिलकर स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं।
ASP नारायण बरमणि का बयान: ‘मैं अपनी जिम्मेदारियों के लिए ड्यूटी पर लौट चुका हूं’
विवाद के बाद पहली बार ASP नारायण बरमणि ने खुद मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा,
“मैं हमेशा से अनुशासित अधिकारी रहा हूं। मैंने अपनी भावनाएं वरिष्ठों और सरकार के सामने रख दी हैं। गृह मंत्री और मुख्यमंत्री दोनों ने मुझसे बात की है। फिलहाल मैं अपनी ड्यूटी पर लौट आया हूं। अब आगे की कार्रवाई सरकार पर निर्भर है।”
राजनीतिक भूचाल के बीच प्रशासनिक संकट
यह पूरा मामला उस वक्त सामने आया है जब कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पहले ही आंतरिक सत्ता संघर्ष के आरोपों से जूझ रही है। मुख्यमंत्री पद को लेकर उठ रहे सवालों और नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच यह थप्पड़ विवाद सरकार की छवि को और नुकसान पहुंचा सकता है।