BY: Yoganand Shrivastva
धार्मिक आस्था की आड़ में कारोबारी साम्राज्य? करोड़ों की संपत्ति, एफआईआर और चौंकाने वाले खुलासे
बुंदेलखंड के शांत पहाड़ों और संतों की पावन भूमि पर अब एक ऐसा नाम सवालों के घेरे में है, जिसे श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक माना जाता था—रावतपुरा सरकार। लोगों की नजर में एक सन्यासी, भगवा वस्त्रधारी संत, लेकिन जांच एजेंसियों की नजर में अब एक ‘सिस्टमेटिक कारोबारी’।
सीबीआई और ईडी की टीमों ने जब मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैले रावतपुरा सरकार यानी रविशंकर महाराज के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की, तो जो खुलासे हुए उन्होंने पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी। संत का जीवन सादगी का प्रतीक माना जाता है, लेकिन यहां मामला उल्टा निकला—बेड के नीचे गुप्त लॉकर, दर्जनों बेनामी संपत्तियां, करोड़ों के निवेश और दर्जनों फर्जी कंपनियों का नेटवर्क।
छापेमारी: कब, कहां, कैसे?
3 जुलाई 2025 को सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक साथ 12 से अधिक ठिकानों पर रेड डाली। यह छापेमारी रावतपुरा सरकार से जुड़ी संस्थाओं और निजी आवासों पर की गई। जांच एजेंसियों को पहले से इनपुट था कि धर्म की आड़ में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा, मनी लॉन्ड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति का खेल चल रहा है।
- छापे के दौरान मिले प्रमुख सबूत:
- एक बेड में बना गुप्त लॉकर, जिसमें रखे गए थे लाखों रुपये नकद।
- लगभग ₹8 करोड़ की अघोषित संपत्ति के दस्तावेज।
- कई फर्जी ट्रस्ट और कंपनियों के कागजात।
- विदेशी लेन-देन से जुड़े रिकॉर्ड्स।
- बड़ी संख्या में बेनामी जमीनें और बंगले।
मुख्य छापों की जानकारी, नई रायपुर, छत्तीसगढ़
यहाँ का मेडिकल कॉलेज मुख्य लक्षित था जहाँ मान्यता की प्रक्रिया में नियामक निरीक्षण रिपोर्ट को प्रभावित करने की कथित साजिश की सूचना मिली
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, दिल्ली
सीबीआई ने कुल 40 से अधिक स्थानों पर छापामारी की, जिसमें इन राज्यों के मेडिकल कॉलेज और डॉक्टर शामिल थे
बेंगलुरु, कर्नाटक
कथित रिश्वत का लेन‑देन यहीं हुआ—कॉलेज द्वारा मान्यता सुनिश्चित करने के लिए रु. 55 लाख की घूस दी गई
दिल्ली-एनसीआर
कॉलेज के अधिकारियों और मध्यस्थों के ठिकानों पर दस्तावेज़ और डिजिटल सबूत बटोरने के लिए छापेमारी
राजस्थान
उसी नेटवर्क के माध्यम से जुड़े डॉक्टरों व ऑफिसरों के ठिकानों पर अमान्य रिपोर्ट के लिए छापामारी
इस अभियान का सार- कुल राज्यों में जांच: छत्तीसगढ़ (नवा रायपुर), मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, दिल्ली।
ठिकानों की संख्या: 40 से अधिक, अस्पताल, कॉलेज व डॉक्टरों के आवास शामिल
गिरफ्तारियाँ: तीन डॉक्टर और अन्य बिचौलियों सहित कुल छह आरोपी गिरफ्तार, जिसमें कॉलेज अधिकारी भी शामिल हैं
रिश्वत राशि: लगभग ₹55 लाख, बेंगलुरु में ही ट्रांजैक्शन हुआ
विवाद का केंद्र: कॉलेज ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एनएमसी) की निरीक्षण टीम को प्रभावित करने के लिए रिपोर्ट फर्जी कराने की साजिश रची
संत या कारोबारी? रावतपुरा सरकार का आर्थिक साम्राज्य
रावतपुरा सरकार के नाम से देशभर में शैक्षणिक, चिकित्सा और व्यवसायिक संस्थानों की एक लंबी फेहरिस्त सामने आई है। ये संस्थान कथित रूप से “धर्मसेवा” के नाम पर चलाए जा रहे थे, लेकिन वास्तव में ये बड़े पैमाने पर आर्थिक गतिविधियों से जुड़े पाए गए।
प्रमुख संस्थान:
- रावतपुरा सरकार कॉलेज समूह – मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में फैले 50+ कॉलेज
- रावतपुरा सरकार अस्पताल – निजी सुपरस्पेशलिटी सुविधा
- आयुर्वेद रिसर्च सेंटर – आयुष मंत्रालय से जुड़ा हुआ
- रावतपुरा सरकार निर्माण कंपनी – सरकारी टेंडर में सक्रिय
- एजुकेशनल ट्रस्ट्स और फाइनेंस कंपनी – शिक्षा ऋण और संपत्ति खरीद से संबंधित
- धार्मिक ट्रस्ट्स के नाम पर दर्ज 100+ एकड़ भूमि
किस आरोप में हुई एफआईआर?
सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर में रावतपुरा सरकार उर्फ रविशंकर महाराज पर निम्नलिखित आरोप लगाए गए हैं:
- काले धन को सफेद करने का प्रयास (मनी लॉन्ड्रिंग)
- फर्जी ट्रस्ट बनाकर सरकारी सब्सिडी और जमीन हथियाना
- बेनामी संपत्ति रखना
- आय से अधिक संपत्ति का संचय
- धार्मिक भावनाओं का व्यावसायिक दोहन
आमजन के मन में उठते सवाल
बुंदेलखंड जैसे पिछड़े क्षेत्र में जहां आम जनता बेसिक स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए जूझ रही है, वहां एक संत इतने बड़े नेटवर्क का मालिक कैसे बन गया?
क्या धर्म की आड़ में पूंजी का जाल बुना जा रहा था?
क्या जिन लोगों ने अपनी श्रद्धा से इन संस्थानों को ऊंचाई दी, उन्हें धोखा मिला?
आगे क्या?
ईडी और सीबीआई की कार्रवाई अभी प्रारंभिक चरण में है। आयकर विभाग भी इस पूरे नेटवर्क की पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया में जुटा है। संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में कई रसूखदार नेता, अधिकारी और बिजनेसमैन भी जांच के दायरे में आ सकते हैं, जिनकी साझेदारी रावतपुरा सरकार से रही है।
यह मामला न केवल एक धार्मिक व्यक्ति पर लगा गंभीर आर्थिक घोटाले का आरोप है, बल्कि यह हमारे समाज के लिए भी एक बड़ा आईना है—जहां संतों का चोला अब व्यापार की ढाल बनता जा रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि कानून और श्रद्धा की इस टकराहट में कौन जीतेगा — न्याय या दिखावा? रावतपुरा सरकार व उसके संचालित मेडिकल संस्थानों पर छापे छत्तीसगढ़ में केंद्रित थे, लेकिन इस छापा कार्रवाई के दायरे में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और दिल्ली भी शामिल थे, जहाँ डॉक्टरों व ऑफिसरों के ठिकानों पर अब तक की जानकारी के अनुसार दस्तावेज व डिजिटल सबूत बरामद किए गए।