पटना: मोकामा के पंचमहला थानांतर्गत नौरंगा जलालपुर गांव में पूर्व विधायक अनंत सिंह और सोनू-मोनू गिरोह के बीच हुई गोलीबारी के मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों आरोपियों को बाढ़ थाने लाया गया है। इस घटना के बाद पुलिस अब अनंत सिंह के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
सोनू सिंह और रौशन की गिरफ्तारी
इस मामले में पुलिस ने आज सुबह सोनू सिंह को गिरफ्तार किया, जो सोनू-मोनू गिरोह से जुड़ा है। इसके साथ ही, अनंत सिंह के समर्थक रौशन को भी हिरासत में लिया गया है। पटना ग्रामीण एसपी ने इन दोनों की गिरफ्तारी की पुष्टि की है।
सशस्त्र बलों की तैनाती, अनंत सिंह गांव से लापता
फायरिंग की घटना के बाद पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की योजना बनाई है। भारी संख्या में सशस्त्र बल और पुलिस अधिकारी बाढ़ क्षेत्र में तैनात कर दिए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, अनंत सिंह अपने गांव लदमा से निकल चुके हैं। पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है और जल्द ही आगे की कार्रवाई की संभावना है।
बिहार के पूर्व विधायक अनंत कुमार सिंह का राजनीतिक करियर
अनंत कुमार सिंह, जिन्हें “छोटे सरकार” के नाम से भी जाना जाता है, बिहार की राजनीति में एक चर्चित और विवादित चेहरा रहे हैं। वह लंबे समय तक बिहार की राजनीति में सक्रिय रहे और मोकामा विधानसभा क्षेत्र से कई बार विधायक चुने गए। उनका राजनीतिक करियर जहां उनकी लोकप्रियता और जनसमर्थन के लिए जाना जाता है, वहीं विवादों और आपराधिक छवि के कारण भी सुर्खियों में रहा है।

राजनीतिक सफर की शुरुआत
अनंत कुमार सिंह ने अपना राजनीतिक सफर 2005 में शुरू किया, जब वह पहली बार मोकामा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतकर विधायक बने। उनकी दबंग छवि और क्षेत्र में मजबूत पकड़ ने उन्हें स्थानीय राजनीति में एक ताकतवर नेता बना दिया।
जेडीयू में शामिल होना
अपनी राजनीतिक ताकत को बढ़ाते हुए, अनंत सिंह 2010 में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में शामिल हो गए। जेडीयू के टिकट पर उन्होंने दोबारा मोकामा सीट से जीत हासिल की। इस दौरान वह पार्टी में एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे।
विवादों में घिरा करियर
हालांकि, अनंत सिंह का राजनीतिक करियर विवादों से अछूता नहीं रहा। उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हुए, जिनमें हत्या, अपहरण, रंगदारी और अवैध हथियार रखने जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। उनकी छवि एक बाहुबली नेता की रही, जिसने उन्हें राजनीतिक और कानूनी संकटों का सामना करने पर मजबूर किया।
जेडीयू से निष्कासन और आरजेडी से जुड़ाव
2015 में, जेडीयू ने अनंत सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया, जब उनके खिलाफ बढ़ते आपराधिक मामलों ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से नाता जोड़ लिया। आरजेडी के साथ उनकी राजनीतिक पारी ने उन्हें नए सिरे से समर्थकों का आधार दिया।
2020 के विधानसभा चुनाव
2020 में, अनंत सिंह ने आरजेडी के टिकट पर मोकामा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। यह उनकी राजनीतिक ताकत और क्षेत्रीय पकड़ का एक और प्रमाण था। हालांकि, उनके खिलाफ लंबित कानूनी मामलों ने उनके करियर पर लगातार असर डाला।
वर्तमान स्थिति
वर्तमान में अनंत सिंह का राजनीतिक भविष्य अनिश्चित है, क्योंकि वह कई कानूनी विवादों का सामना कर रहे हैं। हाल ही में उनके नाम पर कई मामलों में पुलिस कार्रवाई और जांच हो रही है, जिसने उनकी राजनीतिक सक्रियता को सीमित कर दिया है।
अनंत कुमार सिंह का राजनीतिक करियर सत्ता, दबंगई, विवादों और जनसमर्थन का एक जटिल मिश्रण रहा है। उनकी लोकप्रियता उनके समर्थकों के बीच आज भी बरकरार है, लेकिन उनकी आपराधिक छवि ने उनके राजनीतिक सफर को हमेशा चुनौतीपूर्ण बनाए रखा है।
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