BY: Yoganand Shrivastva
टिटलागढ़ (ओडिशा) – ओडिशा के एक असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर दिलेश्वर माझी के खिलाफ भ्रष्टाचार और बेहिसाब संपत्ति के आरोपों के बाद विजिलेंस विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। छापे के दौरान अफसरों को इतनी संपत्ति मिली कि वे खुद भी चौंक गए। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि अभियंता ने अपने बेड के नीचे कैश से भरा लॉकर छिपा रखा था।
6 जगहों पर एक साथ छापे
विजिलेंस विभाग की टीम ने बोलांगीर, संबलपुर और झारसुगुड़ा जिलों में एक साथ छह स्थानों पर छापेमारी की। इन सभी ठिकानों पर एक ही समय पर छापा मारा गया ताकि साक्ष्य नष्ट न हो सकें। तलाशी की अनुमति विशेष न्यायालय, विजिलेंस, बोलांगीर से प्राप्त की गई थी।
बेड के नीचे से मिले लाखों
संबलपुर स्थित आवास की तलाशी के दौरान अधिकारियों को बेड के नीचे छुपाया गया ₹6.57 लाख नकद मिला। यह कैश एक विशेष लॉकर में रखा गया था जिसे बड़े ही चतुराई से फर्श के नीचे फिट किया गया था।
अभी तक क्या-क्या मिला?
विजिलेंस टीम को अब तक तलाशी अभियान में निम्न संपत्तियां और सामान मिले हैं:
- ₹6,57,500 नकद (बेड के नीचे लॉकर में)
- 4500 वर्ग फीट का दो मंजिला मकान, जिसमें ग्राउंड फ्लोर पर इंजीनियर की पत्नी का ब्यूटी पार्लर चलता है
- 6300 वर्ग फीट का एक और मकान ब्रजराजनगर में
- 900 वर्ग फीट का कमर्शियल कॉम्प्लेक्स जिसमें 4 दुकानें शामिल हैं
- झारसुगुड़ा के लाहांदाबुड़ इलाके में दो मकान
- 9 कीमती भूखंड, जिनमें से संबलपुर, बड़माल और ब्रजराजनगर में स्थित हैं
- 300 ग्राम सोने के आभूषण
- ₹20 लाख से अधिक की बैंक जमा और निवेश
- 1 कार (स्विफ्ट डिज़ायर) और 2 दोपहिया वाहन
छापेमारी कहां-कहां हुई?
- संबलपुर – यूनिट-16 में दो मंजिला मकान
- झारसुगुड़ा – एक और दो मंजिला आवास
- ब्रजराजनगर – एक बड़ा बाजार परिसर
- लाहांदाबुड़ – हाउसिंग बोर्ड के दो मकान
- कांटाबांजी (बोलांगीर) – R&B डिवीजन कार्यालय
- टिटलागढ़ – सरकारी क्वार्टर
क्या बोले अधिकारी?
विजिलेंस की तकनीकी टीम द्वारा सभी संपत्तियों की आर्थिक मूल्यांकन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अब तक की जानकारी के अनुसार दिलेश्वर माझी और उनके परिवार के पास जो संपत्ति मिली है, वह उनकी वैध आय से कई गुना अधिक है।
भ्रष्टाचार पर फिर उठे सवाल
इस कार्रवाई ने एक बार फिर सरकारी कर्मचारियों द्वारा बेनामी और अवैध संपत्तियों के जरिए भ्रष्टाचार फैलाने के मुद्दे को उजागर कर दिया है। आम जनता और मीडिया में यह सवाल उठने लगे हैं कि इतने वर्षों तक इस प्रकार की संपत्ति कैसे एकत्र हुई और इसकी भनक किसी को क्यों नहीं लगी?