
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की कड़ी आलोचना की है। यह आलोचना प्रयागराज के संगम से लिए गए पुराने पानी के नमूनों की रिपोर्ट जमा करने के लिए की गई। यह मामला तब सामने आया जब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक रिपोर्ट में पानी में फीकल कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया की उच्च मात्रा पाई गई। यह स्थिति गंभीर है, क्योंकि महाकुंभ मेले में हर दिन लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान कर रहे हैं।
हालांकि, यूपीपीसीबी ने पानी की गुणवत्ता का बचाव करते हुए कहा कि गंगा और यमुना नदियाँ स्नान के लिए निर्धारित मानकों को पूरा करती हैं, सिवाय एक पुल के क्षेत्र को छोड़कर।
एनजीटी की प्रतिक्रिया
एनजीटी ने यूपीपीसीबी पर सवाल उठाया और बताया कि उनकी रिपोर्ट में 12 जनवरी को लिए गए नमूने शामिल थे, जो महाकुंभ शुरू होने से पहले के हैं। अधिकरण ने नाराजगी जताते हुए कहा, “इतना बड़ा दस्तावेज क्यों जमा किया? क्या हमारा समय बर्बाद करने के लिए?”
तारीख | घटना |
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12 जनवरी 2025 | यूपीपीसीबी ने पानी के नमूने लिए, जो महाकुंभ शुरू होने से पहले के हैं। |
17 फरवरी 2025 | एनजीटी की सुनवाई, जहाँ पुरानी रिपोर्ट पर आपत्ति जताई गई। |
28 फरवरी 2025 | अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित। |
यूपीपीसीबी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता ने आश्वासन दिया कि हाल के पानी के नमूनों की रिपोर्ट उपलब्ध है और इसे एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट के साथ जमा किया जाएगा। राज्य सरकार ने कहा, “हर गड़बड़ी की निगरानी और सुधार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।”
उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि सीपीसीबी की रिपोर्ट की गहन जाँच की जाएगी और जरूरी कदम उठाए जाएंगे। लेकिन एनजीटी ने सख्ती से कहा, “नदी में कहीं भी प्रदूषण होने का मतलब है कि पूरी नदी प्रदूषित है।” इसके बावजूद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खराब पानी की गुणवत्ता की खबरों को विपक्ष का प्रचार बताया और दावा किया कि महाकुंभ के दौरान पानी स्नान और ‘आचमन’ (पवित्र जल पीने) के लिए उपयुक्त है।
फीकल कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया विवाद
सीपीसीबी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि प्रयागराज के कई स्थानों पर पानी स्नान के प्राथमिक मानकों को पूरा नहीं करता, क्योंकि इसमें फीकल कॉलिफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा अधिक है, जो सीवेज प्रदूषण का संकेत है। रिपोर्ट में कहा गया कि कई मौकों पर पानी स्नान के लिए अयोग्य पाया गया।
मुख्य बिंदु | विवरण |
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फीकल कॉलिफॉर्म क्या है? | यह बैक्टीरिया सीवेज या मल से उत्पन्न होता है और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। |
प्रभाव | स्नान करने वाले श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। |
स्थान | प्रयागराज के संगम क्षेत्र में कई जगहों पर प्रदूषण की पुष्टि। |
एनजीटी की सुनवाई और निर्देश
17 फरवरी की सुनवाई में एनजीटी ने देखा कि यूपीपीसीबी ने पहले के आदेश का पालन नहीं किया, जिसमें व्यापक कार्रवाई रिपोर्ट माँगी गई थी। बोर्ड ने केवल एक कवरिंग लेटर और कुछ परीक्षण रिपोर्ट जमा कीं, जिनमें अभी भी कई स्थानों पर फीकल बैक्टीरिया की उच्च मात्रा दिखाई गई।
एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की बेंच इस मामले की समीक्षा कर रही है। अधिकरण ने यूपीपीसीबी से पूछा, “यह कैसी रिपोर्ट है? 250 पन्नों में फीकल कॉलिफॉर्म की कोई जानकारी नहीं है।”
आगे की कार्रवाई
यूपीपीसीबी ने अदालत को बताया कि उनके पास नवीनतम पानी की गुणवत्ता रिपोर्ट उपलब्ध है। एनजीटी ने इसे एक सप्ताह के भीतर जमा करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।
सीपीसीबी रिपोर्ट का निष्कर्ष
सीपीसीबी की रिपोर्ट में कहा गया, “प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान नदी के पानी की गुणवत्ता फीकल कॉलिफॉर्म के मामले में स्नान के लिए मानकों को पूरा नहीं करती। खासकर शुभ स्नान के दिनों में लाखों लोग नदी में स्नान करते हैं, जिससे फीकल कॉलिफॉर्म की मात्रा बढ़ जाती है।”
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