उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को नया आयाम देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। वृंदावन योजना की पी-4 पार्किंग साइट पर एक अत्याधुनिक सिटी बस टर्मिनल बनाने की योजना को राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इस परियोजना पर कुल 380 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और इसे पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर तैयार किया जाएगा।
परियोजना की मुख्य बातें:
- स्थान: वृंदावन योजना, पी-4 पार्किंग, लखनऊ
- कुल लागत: ₹380 करोड़
- क्षेत्रफल: 7.06 एकड़
- मॉडल: पीपीपी (Public-Private Partnership)
- निगरानी: नगरीय परिवहन निदेशालय
- निर्माण समयसीमा:
- बस टर्मिनल: 3 साल
- कमर्शियल जोन: 5 साल
- लीज अवधि: 60 साल
193 बसों के संचालन की क्षमता
नया टर्मिनल आधुनिक तकनीक से युक्त होगा, जहां से कुल 193 बसें एक साथ संचालित की जा सकेंगी, जिनमें शामिल हैं:
- 141 ई-बसें (Electric Buses)
- 52 सीएनजी बसें (CNG Buses)
- भविष्य में 150 अतिरिक्त ई-बसों के लिए भी स्थान सुरक्षित रहेगा।
यात्रियों के लिए मिलेंगी ये सुविधाएं
इस बस टर्मिनल को न सिर्फ परिवहन के लिहाज से बल्कि यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए भी डिज़ाइन किया गया है। टर्मिनल में शामिल होंगे:
- वातानुकूलित वेटिंग हॉल
- वेटिंग रूम
- बुकिंग व पूछताछ काउंटर
- आरक्षण केंद्र
- पार्सल और क्लॉक रूम
- फूड स्टॉल और कियोस्क
- जल एटीएम
- शौचालय और यूरिनल
- मेडिकल सहायता कक्ष
- बच्चों के लिए क्रेच
- बैंक और एटीएम
- पुलिस बूथ और सुरक्षा नियंत्रण कक्ष
- 275 कारों की पार्किंग क्षमता
कमर्शियल ज़ोन: मॉल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी शामिल
इस सिटी बस टर्मिनल में एक विशेष कमर्शियल ज़ोन भी विकसित किया जाएगा, जिसमें मॉल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाए जाएंगे। यह न सिर्फ यात्रियों को अतिरिक्त सुविधाएं देगा, बल्कि शहर के लिए आर्थिक विकास का केंद्र भी बनेगा।
ऐतिहासिक कदम लखनऊ की परिवहन व्यवस्था के लिए
नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने इस परियोजना को लखनऊ की शहरी परिवहन प्रणाली के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय बताया है। उन्होंने कहा कि यह टर्मिनल न सिर्फ यातायात व्यवस्था को सुव्यवस्थित करेगा, बल्कि नागरिकों को विश्वस्तरीय सुविधाएं भी प्रदान करेगा।
लखनऊ को मिलेगा ट्रांसपोर्ट का नया चेहरा
लखनऊ का यह नया सिटी बस टर्मिनल न केवल पर्यावरण के अनुकूल और टेक्नोलॉजी से भरपूर होगा, बल्कि यात्री सुविधाओं, सुरक्षा और आर्थिक विकास को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। आने वाले वर्षों में यह परियोजना राजधानी को एक नया ट्रांसपोर्ट हब बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।