BY: Yoganand shrivastva
नई दिल्ली:भारत की सामरिक क्षमता को और मज़बूती देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 के दो नए संस्करणों पर काम शुरू कर दिया है। इन मिसाइलों की खासियत यह होगी कि ये दुश्मन के भूमिगत बंकरों, न्यूक्लियर लॉन्च साइट्स, कंट्रोल सेंटर और हथियारों के गोदामों को 100 मीटर तक की गहराई में नष्ट कर सकेंगी।
क्या होंगे नए वर्जन की विशेषताएं?
- अग्नि-5 के मौजूदा संस्करण की मारक क्षमता लगभग 5000 किलोमीटर है।
- नए संस्करण 2500 किलोमीटर की रेंज में काम करेंगे लेकिन इनमें 7500 किलोग्राम तक के भारी बंकर बस्टर वॉरहेड ले जाने की क्षमता होगी।
- ये मिसाइलें हाइपरसोनिक गति से, यानी मैक-8 से मैक-20 (आवाज़ से 8 से 20 गुना तेज़) की रफ्तार से निशाना साधेंगी।
- यह तकनीक अमेरिका के अत्याधुनिक GBU-57 बंकर बस्टर बम को भी चुनौती देने वाली होगी। जहां अमेरिकी बम का वजन 2600 किलोग्राम है, वहीं भारत की नई मिसाइल इससे लगभग तीन गुना अधिक वजन का विस्फोटक ले जाने में सक्षम होगी।
इस तकनीक की भारत को क्यों है ज़रूरत?
भारत की सामरिक ज़रूरतों में यह बंकर बस्टर मिसाइल एक अहम भूमिका निभाएगी।
- पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों ने अपनी सीमाओं के नज़दीक गहराई वाले सैन्य अड्डे और भूमिगत कमांड सेंटर विकसित किए हैं।
- ऊंचाई वाले क्षेत्रों और पहाड़ी इलाकों में स्थित दुश्मन की सुविधाओं को इन मिसाइलों से आसानी से नष्ट किया जा सकेगा।
- ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद से भारत ने अपनी बंकर बस्टिंग क्षमता पर अधिक ज़ोर देना शुरू कर दिया है।
अमेरिका के GBU-57 बम से तुलना
हाल ही में अमेरिका ने ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी पर 14 GBU-57 बंकर बस्टर बमों से हमला किया था। यह संयंत्र जमीन से 200 फीट नीचे स्थित था और इस हमले के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए GBU-57 बम का वजन 30,000 पाउंड (करीब 13,600 किलोग्राम) था।
अमेरिकी सेना के अनुसार, इस बम को विकसित करने में 15 साल लगे और इसका मुख्य उद्देश्य अत्यंत सुरक्षित और गहरे छिपे दुश्मन ठिकानों को ध्वस्त करना है। अब DRDO की अग्नि-5 का नया संस्करण भारत को भी इसी तरह की मारक क्षमता के बेहद करीब ला देगा।
अंतरिक्ष में सैन्य ताकत बढ़ाने की तैयारी: भारत लॉन्च करेगा 52 रक्षा सैटेलाइट
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत सिर्फ ज़मीन ही नहीं, अंतरिक्ष में भी अपनी रक्षा क्षमता को नई ऊंचाई पर ले जाने की योजना पर काम कर रहा है। 2029 तक देश कुल 52 विशेष रक्षा उपग्रह अंतरिक्ष में भेजेगा।
इन सैटेलाइट्स की विशेषताएं:
- ये सभी उपग्रह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित होंगे।
- यह सैटेलाइट्स 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई से निगरानी करने और एक-दूसरे से सीधे संवाद स्थापित करने में सक्षम होंगे।
- इससे भारत को सीमावर्ती क्षेत्रों, खासकर पाकिस्तान और चीन की हर गतिविधि पर नजर रखने में बड़ी मदद मिलेगी।
यह अभियान रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी के तहत चलाया जा रहा है और इसके लिए ₹26,968 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है। योजना को अक्टूबर 2024 में कैबिनेट की सुरक्षा समिति से स्वीकृति मिल चुकी है।
ISRO की सटीक निगरानी से आतंकी ठिकानों पर सीधा असर
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के निगरानी उपग्रहों ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी अड्डों और सैन्य ठिकानों पर हमारी सेनाओं को सटीक जानकारी दी है। इससे भारतीय सेना को उनके रडार सिस्टम और ड्रोन हमलों को निष्क्रिय करने में निर्णायक बढ़त मिली है।