झारखंड में शराब खरीदने वालों के लिए बड़ी खबर है। राज्य में आज से अगले पांच दिनों तक सभी शराब की दुकानें बंद रह सकती हैं। यह फैसला राज्य सरकार द्वारा लागू की जा रही नई शराब नीति के तहत लिया गया है। इस दौरान राज्यभर की 1453 खुदरा शराब दुकानों का संचालन ठप रहेगा।
क्यों बंद रह रही हैं शराब की दुकानें?
30 जून की रात 10 बजे के बाद झारखंड में प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए शराब दुकानों का संचालन समाप्त हो गया। इसके बाद अब झारखंड स्टेट बेवरेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (JSBCL) टेंडर प्रक्रिया पूरी होने तक खुदरा शराब दुकानों का संचालन संभालेगा।
इस बीच हैंडओवर और टेकओवर प्रक्रिया के तहत दुकानों की गिनती, स्टॉक, बिक्री और जमा राशि की पूरी जांच की जाएगी। इस प्रक्रिया के पूरा होने तक सभी शराब की दुकानें बंद रहेंगी।
जानिए सरकार की पूरी तैयारी
JSBCL के प्रबंध निदेशक और उत्पाद आयुक्त ने सभी जिलों के डीसी (जिला कलेक्टर) को निर्देश जारी कर दिए हैं। इसमें कहा गया है कि:
- हैंडओवर-टेकओवर के दौरान दुकानों का स्टॉक और कैश की गिनती होगी।
- पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करवाई जाएगी।
- प्लेसमेंट एजेंसियों के प्रतिनिधि भी इस दौरान मौजूद रहेंगे।
- जिला स्तर पर पर्यवेक्षण के लिए अपर समाहर्ता या अपर उपायुक्त को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
- यह प्रक्रिया 5 जुलाई तक पूरी करनी है।
प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही दुकानों को फिर से खोलने की अनुमति मिलेगी।
नई शराब नीति लागू होने में कितना वक्त लगेगा?
राज्य के उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने बताया कि नई शराब नीति को पूरी तरह लागू करने में लगभग 45 दिन का समय लग सकता है। इस दौरान JSBCL के माध्यम से ही दुकानों का संचालन होगा।
मंत्री ने यह भी साफ किया कि जिन प्लेसमेंट एजेंसियों पर सरकार की बकाया राशि थी, उनमें से सिर्फ 3-4 जिलों की एजेंसियों ने ही पूरा भुगतान किया है। बाकी से वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
झारखंड शराब व्यापारी संघ ने उठाए सवाल
झारखंड शराब व्यापारी संघ ने राज्य सरकार और JSBCL से पिछले तीन वर्षों की शराब दुकानों की ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है। संघ का आरोप है कि:
- अब तक 1453 शराब दुकानों की ऑडिट रिपोर्ट जारी नहीं की गई।
- इससे बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों की आशंका है।
- दुकानों पर कितनी शराब की बिक्री हुई, कितनी राशि जमा हुई, इसकी पूरी जानकारी नहीं दी गई।
- प्लेसमेंट एजेंसियों ने बैंक गारंटी से ज्यादा रकम निकाल ली।
- शराब चोरी और पैसे की हेराफेरी की जानकारी भी छुपाई गई।
संघ ने लगाए गंभीर आरोप
संघ के महासचिव सुबोध कुमार जायसवाल ने दावा किया कि राज्य के अलग-अलग जिलों में करोड़ों रुपये की गड़बड़ी हुई है:
जिला | अनुमानित गड़बड़ी (रुपये में) |
---|---|
धनबाद | 55 करोड़ |
जमशेदपुर | 65 करोड़ |
पलामू | 45 करोड़ |
हजारीबाग | 35 करोड़ |
बोकारो | 45 करोड़ |
रांची | 32 करोड़ |
रामगढ़ | 6 करोड़ |
खूंटी | 8 करोड़ |
गिरिडीह | 7 करोड़ |
देवघर | 8 करोड़ |
संताल | 6 करोड़ |
चाईबासा | 9 करोड़ |
सरायकेला | 7 करोड़ |
इसके अलावा संघ ने आरोप लगाया कि दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों को पिछले 8 महीने से वेतन नहीं मिला है। उन्होंने सवाल उठाया कि इन कर्मचारियों का वेतन अब कौन देगा?
क्या मांग की संघ ने?
संघ ने राज्य सरकार से निम्नलिखित मांगें की हैं:
✅ पूरे मामले की स्वतंत्र एजेंसी या जिला मजिस्ट्रेट के जरिए निष्पक्ष जांच हो।
✅ सभी शराब दुकानों की ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
✅ दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
✅ कर्मचारियों का बकाया वेतन तत्काल दिया जाए।
✅ भविष्य में शराब दुकानों के संचालन में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
निष्कर्ष: शराब खरीदने वालों के लिए अगले कुछ दिन चुनौती भरे
झारखंड में शराब की दुकानों पर फिलहाल ताला लटकने वाला है। अगर आप शराब खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आपको कम से कम 5 जुलाई तक इंतजार करना पड़ सकता है। नई शराब नीति लागू होने और जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही दुकानों के फिर से खुलने की उम्मीद है।