BY: Yoganand Shrivastva
वाशिंगटन, अमेरिका: भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्षविराम को लेकर अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने वाशिंगटन में तीखा और स्पष्ट जवाब दिया। क्वॉड शिखर सम्मेलन के इतर पत्रकारों से बातचीत करते हुए जयशंकर ने कहा, “हमें अच्छी तरह पता है कि क्या हुआ था, अब उसे वहीं छोड़ देते हैं।”
यह बयान ट्रंप के उस बार-बार दोहराए गए दावे के जवाब में आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर उनकी मध्यस्थता और दबाव के चलते संभव हुआ था।
जयशंकर ने किया ट्रंप के ‘सीजफायर’ दावे का खंडन
डॉ. जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम का निर्णय पूरी तरह से दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMOs) के बीच हुई सीधी बातचीत का परिणाम था।
उन्होंने इस मुद्दे पर अमेरिका की भूमिका को खारिज करते हुए कहा,
“उस समय जो कुछ हुआ, उसका पूरा रिकॉर्ड सार्वजनिक है। यह एक सैन्य-स्तरीय संवाद था, जिसे दोनों देशों की सेनाओं ने सुलझाया।”
ट्रंप का पुराना दावा: ‘मैंने परमाणु युद्ध रोका’
डोनाल्ड ट्रंप बार-बार यह कहते आए हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु संघर्ष को रोकने में निर्णायक भूमिका निभाई थी। उनका दावा रहा है कि उन्होंने व्यापारिक डील के बहाने भारत पर दबाव बनाकर पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम करवाया।
लेकिन भारत सरकार पहले भी इस बात से इंकार करती रही है। और अब विदेश मंत्री जयशंकर के इस बयान ने ट्रंप के इन दावों पर पूरी तरह से विराम लगा दिया है।
क्या था ऑपरेशन सिंदूर और कैसे पिघला पाकिस्तान?
यह विवाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद खड़ा हुआ, जिसमें भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की थी:
- 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 भारतीयों की नृशंस हत्या कर दी थी।
- इसके बाद 6-7 मई की रात, भारत ने पाकिस्तान के भीतर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के 9 आतंकवादी ठिकानों को मिसाइल हमलों से तबाह कर दिया।
- इन हमलों में 100 से अधिक आतंकी मारे गए, जिससे बौखलाया पाकिस्तान भारत पर पलटवार करने की कोशिश में जुट गया।
लेकिन भारत ने न सिर्फ हमले रोके, बल्कि 11 पाक सैन्य ठिकानों को जवाबी हमलों में ध्वस्त कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान ने खुद संघर्षविराम की अपील की, जिसे भारत ने 9-10 मई को मान लिया।
किसका है संघर्षविराम का असली श्रेय?
जहां एक ओर पाकिस्तान दबाव और नुकसान के चलते खुद संघर्षविराम के लिए झुका, वहीं अमेरिकी राजनीति में इसे ट्रंप ने अपनी विदेश नीति की जीत के रूप में पेश करना शुरू कर दिया।
लेकिन जयशंकर का बयान साफ करता है कि संघर्षविराम का कोई राजनीतिक या व्यापारिक सौदा नहीं था, बल्कि यह दो देशों की सेनाओं के बीच एक सैन्य-स्तरीय रणनीतिक निर्णय था।
जयशंकर का बयान क्यों महत्वपूर्ण है?
- यह भारत की संप्रभुता और सैन्य स्वायत्तता पर जोर देता है।
- यह स्पष्ट करता है कि कोई तीसरी शक्ति भारत की सुरक्षा नीति पर असर नहीं डाल सकती।
- यह वैश्विक कूटनीति में भारत की स्वतंत्र और आत्मनिर्भर स्थिति को प्रदर्शित करता है।
ट्रंप की ‘बातों’ पर लगा विराम
वाशिंगटन में जयशंकर के इस सीधे लेकिन सधे हुए बयान ने डोनाल्ड ट्रंप की ओर से किए गए राजनयिक नाटकीय दावों की हवा निकाल दी है। भारत यह स्पष्ट कर चुका है कि उसने अपने दम पर ऑपरेशन चलाया, संघर्षविराम कराया और अपनी रणनीतिक स्थिति को बनाए रखा।