चीन कैसे बना दुनियाभर के संघर्षों का सबसे बड़ा फायदा उठाने वाला देश? जानिए पूरी कहानी
बीजिंग:
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जब भी कोई युद्ध या संघर्ष भड़कता है, चीन (China) वहां चुपचाप अपना मुनाफे का खेल शुरू कर देता है। चाहे रूस-यूक्रेन युद्ध हो, पाकिस्तान में तनाव, पश्चिम एशिया की लड़ाइयां या अफ्रीका की जातीय झड़पें… हर जगह चीन अपने हथियारों और सैन्य उपकरणों की सप्लाई तेज कर देता है। यह रणनीति चीन को केवल आर्थिक मुनाफा ही नहीं दिला रही, बल्कि उसे वैश्विक प्रभाव भी मजबूत करने में मदद कर रही है।
रूस से लेकर पाकिस्तान तक, चीन के हथियारों की भरमार
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने हाल ही में 44 देशों को लड़ाकू विमान, मिसाइलें, ड्रोन और अन्य सैन्य उपकरण बेचे हैं। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा पाकिस्तान को गया है।
- चीन के कुल हथियार निर्यात का 63% हिस्सा सिर्फ पाकिस्तान को मिलता है।
- इसमें फाइटर जेट्स, मिसाइलें, वायु रक्षा प्रणाली और ड्रोन शामिल हैं।
- भारत-पाकिस्तान के बीच मई में हुए संघर्ष में भी इन हथियारों का इस्तेमाल किया गया।
रूस-चीन गठजोड़: हथियारों से लेकर मशीन टूल्स तक
रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन ने परोक्ष रूप से रूस का साथ देकर उसकी ‘वॉर इकोनॉमी’ को जिंदा रखा है। चीन ने रूस को न केवल ड्यूल-यूज़ टेक्नोलॉजी (मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल्स) दी है, बल्कि सैन्य ड्रोन और आवश्यक मशीन टूल्स भी सप्लाई किए हैं।
- रिसर्च संस्था तक्षशिला इंस्टीट्यूट के अनुसार, रूस अपने लगभग 90% उच्च प्राथमिकता वाले सामान चीन से आयात करता है।
- लगभग सभी अहम मशीन टूल्स भी चीन से ही आते हैं।
पश्चिम एशिया में भी चीन के हथियारों की चमक
पश्चिम एशिया के हालिया संघर्षों में भी चीन का हथियार कारोबार साफ नजर आता है।
- हमास ने इजरायल के खिलाफ चीनी हथियारों का इस्तेमाल किया।
- यमन के हूती विद्रोहियों ने भी चीन से हथियार खरीदे।
- नागोर्नो-करबाख क्षेत्र में अर्मेनिया-अजरबैजान संघर्ष में भी चीनी हथियार नजर आए।
अफ्रीका में चीन की पकड़ मजबूत
अफ्रीका में जातीय और नागरिक संघर्ष लंबे समय से चल रहे हैं। चीन ने यहां भी हथियारों की बड़ी खेप पहुंचाकर अपना दबदबा बनाया है।
- पश्चिमी अफ्रीका में इस्तेमाल हो रही हर चार में से एक सैन्य प्रणाली चीन की है।
- करीब 70% अफ्रीकी देश अब चीनी सैन्य वाहनों का इस्तेमाल करते हैं।
चीन का असली एजेंडा क्या है?
चीन का असली मकसद सिर्फ हथियार बेचना नहीं है, बल्कि:
✔️ वैश्विक राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करना।
✔️ छोटे-छोटे देशों को आर्थिक और सैन्य रूप से खुद पर निर्भर बनाना।
✔️ संघर्षग्रस्त इलाकों में अपना असर बढ़ाना।
✔️ अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रभाव को कम करना।
भारत के लिए क्या खतरा?
भारत के पड़ोस में पाकिस्तान को मिल रही चीनी सैन्य मदद भारत के लिए सीधा सुरक्षा खतरा है। विशेषज्ञों के मुताबिक:
- पाकिस्तान की मिसाइल और ड्रोन क्षमताएं चीन की मदद से बढ़ रही हैं।
- चीन, पाकिस्तान के जरिए भारत पर रणनीतिक दबाव बना रहा है।
- दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन चीन के पक्ष में झुकाने की कोशिश जारी है।
निष्कर्ष: जहां जंग, वहीं चीन का फायदा
दुनिया में जब भी संघर्ष भड़कता है, चीन उसे मौके में बदल देता है। अपने हथियारों की सप्लाई और तकनीकी मदद से चीन न केवल अरबों डॉलर कमा रहा है, बल्कि विश्व राजनीति में भी खुद को अपरिहार्य बना रहा है। भारत समेत बाकी देशों को इस ‘ड्रैगन रणनीति’ को समझकर ठोस कदम उठाने होंगे, वरना भविष्य में चीन का यह ‘मुनाफे का मिशन’ और बड़ा खतरा बन सकता है।