बिहार की राजधानी पटना में उस वक्त सनसनी फैल गई जब शहर के प्रतिष्ठित पारस अस्पताल में दिनदहाड़े गोली चल गई। अस्पताल के भीतर घुसकर पांच अपराधियों ने ऑपरेशन से उबर रहे कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा की बेरहमी से हत्या कर दी। यह कोई सामान्य वारदात नहीं थी, बल्कि एक संगठित गैंगवॉर की स्क्रिप्ट थी, जिसे अंजाम दिया गया चंदन के ही पुराने साथी शेरू के इशारे पर।
चंदन और शेरू: दोस्ती से दुश्मनी तक की खौफनाक कहानी
एक गांव, एक शौक और एक खून
- चंदन मिश्रा, बक्सर के सुनबरसा गांव का रहने वाला था।
- शेरू उर्फ ओंकारनाथ सिंह, सिमरी गांव का निवासी था।
- दोनों की दोस्ती क्रिकेट खेलते समय हुई।
- 2009 में क्रिकेट के दौरान हुए झगड़े में अनिल सिंह की हत्या दोनों ने मिलकर कर दी।
- नाबालिग होने के कारण बाल सुधार गृह में भेजे गए, जहां से निकलते ही अपराधी बनने का पूरा प्रशिक्षण ले लिया।
गैंग बना, हथियार आए और आतंक शुरू हुआ
- जेल से छूटने के बाद दोनों ने मिलकर अपराध की दुनिया में कदम रखा।
- रंगदारी वसूलने के लिए गैंग बनाया, नए लड़के जोड़े, हथियार खरीदे।
- 2011 में अकेले इनके गैंग ने छह हत्याएं कीं:
2011 की मुख्य हत्याएं:
- मोहम्मद नौशाद (मार्च)
- भरत राय (अप्रैल)
- जेल क्लर्क हैदर अली (मई)
- शिवजी खरवार और निजामुद्दीन (जुलाई)
- चूना व्यापारी राजेंद्र केसरी (अगस्त)
राजेंद्र केसरी की हत्या से एक दिन पहले चंदन ने खुला ऐलान किया था कि “कल उसे मारूंगा” — और उसने ऐसा ही किया।
शुरू हुई दरार: पैसा और जातिगत समीकरण
राजेंद्र केसरी हत्याकांड के बाद चंदन और शेरू के बीच दरार आ गई। कहा जाता है कि पैसे के बंटवारे और जातिगत मतभेदों ने दोनों को अलग-अलग रास्तों पर ला खड़ा किया। दोनों ने अपने-अपने गैंग बना लिए और अब दोनों एक-दूसरे के खून के प्यासे बन गए।
गिरफ्तारी, सजा और जेल के भीतर भी आतंक
- केसरी हत्याकांड के बाद दोनों बंगाल भाग गए लेकिन बक्सर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया।
- चंदन को उम्र कैद, शेरू को फांसी की सजा हुई, जिसे बाद में हाईकोर्ट ने उम्र कैद में बदला।
- जेल में रहते हुए भी दोनों हत्या करवाते रहे।
- चंदन ने कोर्ट में पुलिस से हथियार छीनकर गोली मार दी और भाग गया, लेकिन बाद में फिर पकड़ा गया।
पेरोल पर छूटा चंदन, अस्पताल में गोलियों से छलनी
चंदन पाइल्स के ऑपरेशन के लिए 2 जुलाई को पेरोल पर बाहर आया था। उसकी पेरोल 18 जुलाई को खत्म होनी थी, लेकिन इससे पहले ही 17 जुलाई को शेरू गैंग के पांच बदमाश पारस अस्पताल में दाखिल हुए और कमरा नंबर 209 में घुसकर चंदन मिश्रा की हत्या कर फरार हो गए।
CCTV में कैद हुए चेहरे
- पूरी वारदात CCTV में रिकॉर्ड हो गई है।
- एसटीएफ (Special Task Force) ने जांच अपने हाथ में ली है।
- माना जा रहा है कि जल्द अपराधी पुलिस की गिरफ्त में होंगे।
शेरू गैंग पहले भी रहा है सुर्खियों में
- आरा के तनिष्क शोरूम में करोड़ों की डकैती में भी शेरू गैंग शामिल रहा है।
- अब चंदन की हत्या के पीछे भी उसी का हाथ बताया जा रहा है।
बिहार पुलिस पर उठे सवाल: क्या गिर रहा है इकबाल?
शूटर सेल बना, फिर भी हत्या!
16 जुलाई को ही बिहार पुलिस ने “शूटर सेल” गठित करने की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य था:
- सुपारी किलर्स का डाटा बैंक बनाना
- उन पर निगरानी रखना
- जेल से छूटने के बाद की गतिविधियों पर नजर रखना
लेकिन इस घोषणा के महज 24 घंटे बाद ही पटना के अस्पताल में एक शूटर ने दूसरे शूटर को मौत के घाट उतार दिया।
एडीजी का चौंकाने वाला बयान
“बिहार में मई, जून, जुलाई में हत्याएं होती ही हैं। बरसात से पहले किसानों के पास काम नहीं रहता।”
इस बयान से पुलिस की लाचारी साफ झलकती है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: पप्पू यादव की मांग – बिहार में राष्ट्रपति शासन लगे
पूर्व सांसद पप्पू यादव ने सरकार की नाकामी पर सवाल खड़े किए:
- “नीतीश कुमार अब सरकार चला नहीं रहे, वो तो अब सो चुके हैं।”
- “बीजेपी और दिल्ली से चल रही है बिहार सरकार।”
- “अब राष्ट्रपति शासन लगाया जाए।”
निष्कर्ष: क्या बिहार अपराधियों के हवाले हो गया है?
पटना जैसे शहर में, जहां सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम होने चाहिए, वहां अस्पताल के अंदर किसी कुख्यात अपराधी की खुलेआम हत्या होना गंभीर सवाल खड़े करता है। अब जब जुलाई महीने में अभी भी 10 दिन बाकी हैं, क्या बिहार और हत्याओं के लिए तैयार है?