ब्रिटेन में अगला आम चुनाव एक ऐतिहासिक बदलाव के साथ होगा। कीर स्टार्मर के नेतृत्व वाली सरकार ने मतदान की न्यूनतम उम्र 18 से घटाकर 16 साल करने का निर्णय लिया है। यह कदम लोकतांत्रिक भागीदारी को बढ़ावा देने और युवाओं को राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
क्यों घटाई गई वोटिंग की उम्र?
सरकार का मानना है कि 16 और 17 साल के किशोर:
- पहले से नौकरी कर रहे होते हैं,
- टैक्स अदा करते हैं,
- और कुछ सेना में भी सेवाएं दे रहे हैं।
ऐसे में उन्हें मतदान का अधिकार देना पूरी तरह तर्कसंगत है।
लोकतंत्र मंत्री रुशनारा अली ने इसे “एक पीढ़ीगत परिवर्तन” बताया है, जो ब्रिटेन में लोगों का लोकतंत्र में विश्वास बहाल करेगा।
सरकार और नेताओं की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर:
सरकार ने इस निर्णय को संसद की मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया है, और इसे अगले चुनाव से पहले लागू किया जाएगा।
डिप्टी पीएम एंजेला रेयनर:
“बहुत समय से लोग लोकतंत्र और संस्थाओं से दूर हो गए थे। इस फैसले से युवाओं को मुख्यधारा से जुड़ने का मौका मिलेगा।”
साथ ही, उन्होंने बताया कि डिजिटल पहचान पत्र, बैंक कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, और वेटरन कार्ड को अब वैध मतदाता पहचान पत्र के रूप में मान्यता दी जाएगी।
कौन-कौन से देश देते हैं किशोरों को वोटिंग का अधिकार?
ब्रिटेन अब उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जहां 18 से कम उम्र में मतदान की अनुमति है:
देश | वोटिंग आयु |
---|---|
ब्राज़ील | 16 वर्ष |
अर्जेंटीना | 16 वर्ष |
इक्वाडोर | 16 वर्ष |
क्यूबा | 16 वर्ष |
ऑस्ट्रिया | 16 वर्ष |
माल्टा | 16 वर्ष |
आइल ऑफ मैन | 16 वर्ष |
ग्रीस | 17 वर्ष |
इंडोनेशिया | 17 वर्ष |
उत्तर कोरिया | 17 वर्ष |
तिमोर-लेस्ते | 17 वर्ष |
निकारागुआ | 16 वर्ष |
नए नियमों से क्या होगा बदलाव?
- युवाओं की लोकतंत्र में भागीदारी बढ़ेगी
- रजिस्ट्रेशन की संख्या में इजाफा होगा
- भविष्य की राजनीतिक समझ और भागीदारी बेहतर होगी
- संस्थाओं पर जनता का भरोसा मजबूत होगा
इतिहास में पिछली बार कब हुआ था बदलाव?
ब्रिटेन में वोटिंग उम्र में पिछला बदलाव 1969 में हुआ था, जब इसे 21 से घटाकर 18 साल किया गया था। अब 56 साल बाद एक और बड़ा कदम उठाया गया है।
ब्रिटेन सरकार का यह कदम लोकतंत्र को और मजबूत बनाने की दिशा में सराहनीय है। 16-17 साल की उम्र में वोटिंग का अधिकार देना न सिर्फ युवाओं को सशक्त करेगा, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में उनका विश्वास भी बढ़ाएगा। यह बदलाव भविष्य की राजनीति की दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है।