Bihar Bridge Collapse 2025 की घटनाएं एक बार फिर मानसून की शुरुआत के साथ सामने आने लगी हैं। गया जिले के गयाजी इलाके में तेज बारिश के बाद एक पुल बह गया, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। इस पुल के मलबे ने पास के रेलवे ट्रैक को भी प्रभावित किया, जिसके चलते गया-कोडरमा रेलखंड पर आवागमन रुक गया।
भारी बारिश और भूस्खलन ने बढ़ाई मुश्किलें
गया में सोमवार देर रात से हो रही मूसलधार बारिश के कारण शेरघाटी की मोरहर नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया। नदी के जलप्रवाह ने पलकिया शेरपुर और फतेहपुर को जोड़ने वाले पुल को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया।
इतना ही नहीं, बारिश के साथ घाटी में भूस्खलन भी हुआ, जिससे रेलवे ट्रैक पर मलबा जमा हो गया। इस कारण गया-कोडरमा रेलमार्ग पर सभी ट्रेनों की आवाजाही रोक दी गई।
रेल सेवा पर पड़ा असर
रेलवे विभाग की टीम ने तत्परता दिखाते हुए राहत और बचाव कार्य शुरू किया। मलबा हटाने में घंटों मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन सुबह करीब 6 बजे तक अप और डाउन दोनों लाइन पर ट्रेनों का संचालन दोबारा शुरू कर दिया गया।
बाढ़ का डर, गंगा का जलस्तर फिर बढ़ा
इधर बेगूसराय जिले में गंगा नदी का जलस्तर फिर से तेजी से बढ़ रहा है। इसका असर यह है कि कटाव शुरू हो चुका है और बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। स्थानीय लोग अब सतर्क हो गए हैं, लेकिन प्रशासनिक तैयारी अभी भी सवालों के घेरे में है।
पिछले महीने भी टूटा था पुल, ट्रैक्टर समेत गिरा
ये पहली बार नहीं है जब बिहार में बारिश से पुल गिरा हो। जून 2025 में सहरसा जिले के पतरघट प्रखंड में एनएच-106 से जुड़ा एक पुराना पुल ओवरलोड ट्रैक्टर के कारण ढह गया था। ट्रैक्टर मक्का लदा हुआ था और वजन अधिक होने की वजह से पुलिया का हिस्सा टूट गया। ट्रैक्टर भी उसी में फंस गया था।
भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी?
हर बार की तरह इस बार भी सवाल खड़े हो रहे हैं—क्या पुलों की गुणवत्ता जांच में लापरवाही हो रही है? क्या ठेकेदारी सिस्टम में भ्रष्टाचार अब नंगी सच्चाई बन चुका है?
बिहार में मानसून आते ही पुल गिरने की घटनाएं जैसे आम हो गई हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया और जिम्मेदारी तय होनी चाहिए
ऐसे हादसे केवल मौसम की मार नहीं हैं, बल्कि सिस्टम की कमजोरी और सरकारी लापरवाही का परिणाम हैं। बारिश हर साल होती है, लेकिन हर साल पुल बहना किसी गंभीर चूक की ओर इशारा करता है।
जनता अब चाहती है कि ऐसे मामलों में त्वरित जांच हो, जिम्मेदार अफसरों और ठेकेदारों पर कठोर कार्रवाई की जाए।
निष्कर्ष: सावधानी और जवाबदेही जरूरी
Bihar Bridge Collapse 2025 जैसी घटनाएं न केवल इन्फ्रास्ट्रक्चर की खामियों को उजागर करती हैं, बल्कि आम लोगों की जान जोखिम में डालती हैं। अब समय आ गया है कि केवल मलबा हटाने से समाधान न ढूंढा जाए, बल्कि भ्रष्टाचार, घटिया निर्माण और प्रशासनिक ढिलाई पर ठोस कार्रवाई हो।
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