छोटे से देश की बड़ी सोच
जब भी हम भारत के पड़ोसी गरीब देशों की बात करते हैं, तो भूटान का नाम अक्सर सबसे ऊपर आता है। हालांकि, खुशहाली के मामले में यह छोटा हिमालयी देश हमसे काफी आगे है। वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स में भूटान की रैंकिंग लगातार ऊंची रहती है। इसकी वादियां, प्राकृतिक सौंदर्य और साफ-सुथरी छवि इसे अनूठा बनाती हैं।
लेकिन अब भूटान सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता या हाइड्रो पावर के लिए ही नहीं, बल्कि क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में एक बड़ी रणनीति के लिए सुर्खियों में है। आइए जानते हैं कैसे भूटान ने अपनी बिजली का इस्तेमाल कर बिटकॉइन की दुनिया में बड़ा दांव खेला और भारत के लिए क्या सबक छोड़ा।
भूटान की रणनीति: हाइड्रो पावर से बिटकॉइन माइनिंग
कोविड-19 महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया ठहर सी गई थी, भूटान के टूरिज्म आधारित अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ा। लेकिन भूटान के राजा ने इस संकट को अवसर में बदलने की दूरदर्शिता दिखाई।
उन्होंने सोचा कि देश में बहती नदियों से जो बिजली पैदा होती है, उसका और क्या इस्तेमाल किया जा सकता है? और यहीं से शुरू हुआ भूटान का क्रिप्टो गेम।
मुख्य बातें:
- भूटान ने अपनी हाइड्रो पावर का इस्तेमाल बिटकॉइन माइनिंग में शुरू कर दिया।
- वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, भूटान दुनिया के सबसे बड़े बिटकॉइन रिजर्व रखने वाले देशों में शामिल हो गया है।
- भूटान के पास फिलहाल लगभग 12,000 से ज्यादा बिटकॉइन हैं।
कितनी बड़ी है भूटान की क्रिप्टो उपलब्धि?
भूटान ने हाइड्रो पावर प्लांट्स से 500 से 600 मेगावाट तक बिजली पैदा कर, इसका उपयोग केवल क्रिप्टो माइनिंग में किया। इस रणनीति से देश ने अब तक करीब 1.3 बिलियन डॉलर (लगभग 11 हजार करोड़ रुपये) की क्रिप्टोकरेंसी कमा ली है।
वैश्विक तुलना:
देश | बिटकॉइन रिजर्व (लगभग) |
---|---|
अमेरिका | 2 लाख बिटकॉइन |
चीन | 1.94 लाख बिटकॉइन |
भूटान | 12,000+ बिटकॉइन |
अल सल्वाडोर | 6,000 बिटकॉइन |
यूक्रेन | 1,200 बिटकॉइन |
फिनलैंड | 890 बिटकॉइन |
ध्यान देने वाली बात:
अल सल्वाडोर, जिसने 2021 में बिटकॉइन को लीगल टेंडर घोषित किया था, उसके पास भी मात्र 6,000 बिटकॉइन हैं। वहीं, भूटान लगभग दोगुने बिटकॉइन का मालिक बन चुका है।
क्रिप्टो पेमेंट में भी भूटान ने दिखाई समझदारी
सिर्फ बिटकॉइन माइनिंग ही नहीं, भूटान ने देश में क्रिप्टोकरेंसी को पेमेंट सिस्टम से भी जोड़ दिया है। हाल ही में भूटान सरकार ने मशहूर क्रिप्टो कंपनी Binance के साथ साझेदारी की है।
अब भूटान में आप कई जगहों पर क्रिप्टो से पेमेंट कर सकते हैं, जैसे:
- होटल बुकिंग
- एयरलाइन टिकट
- वीज़ा फीस
- टूर गाइड पेमेंट
- मॉन्यूमेंट एंट्री फीस
भूटान में 100 से ज्यादा लोकल मर्चेंट्स को Binance Pay और डीके बैंक से जोड़ा गया है। इससे टूरिस्ट्स अपने डिजिटल वॉलेट से आराम से भुगतान कर सकते हैं।
भारत और भूटान की तुलना: भारत पीछे क्यों?
जहां भूटान ने बिजली और तकनीक का उपयोग कर क्रिप्टो में बड़ी छलांग लगाई, वहीं भारत अब भी दुविधा में है।
भारत में क्रिप्टो को लेकर स्थिति:
- क्रिप्टो ट्रेड पर 30% टैक्स
- हर ट्रांजैक्शन पर 1% टीडीएस
- कड़े नियमों के कारण कई इंडियन क्रिप्टो इन्वेस्टर्स देश छोड़कर विदेश जा चुके हैं
- भारत का क्रिप्टो बाजार 4.5 बिलियन डॉलर से ज्यादा का अनुमानित है, लेकिन देश में अनिश्चितता बनी हुई है
आज भारत में सट्टेबाजी और गेमिंग ऐप्स को खुलेआम प्रमोट किया जाता है, लेकिन क्रिप्टो जैसे गंभीर निवेश विकल्प पर न तो खुलापन है, न ही स्पष्ट नीति।
क्या भारत को भूटान से सीखना चाहिए?
भूटान ने यह दिखा दिया कि अगर रणनीतिक सोच हो, तो सीमित संसाधनों में भी बड़ा आर्थिक फायदा कमाया जा सकता है। भारत जैसे देश, जहां तकनीकी टैलेंट और संसाधन दोनों हैं, वहां इस तरह की दूरदर्शिता की सख्त ज़रूरत है।
दुनिया तेजी से डिजिटल करेंसी की ओर बढ़ रही है। अमेरिका, चीन, भूटान जैसे देश या तो क्रिप्टो स्टॉक जमा कर रहे हैं या उसे पेमेंट सिस्टम से जोड़ रहे हैं। वहीं भारत अभी भी नीतिगत उलझनों में फंसा है।
निष्कर्ष: क्या भारत को क्रिप्टो नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए?
भूटान की कहानी भारत के लिए एक बड़ा सबक है। हाइड्रो पावर जैसे सीमित संसाधन से अगर कोई देश इतना बड़ा क्रिप्टो पोर्टफोलियो बना सकता है, तो भारत के लिए संभावनाओं की कोई कमी नहीं है।
लेकिन इसके लिए सरकार को स्पष्ट और व्यावहारिक क्रिप्टो नीति बनानी होगी। सुप्रीम कोर्ट में इस पर चर्चाएं भी हो चुकी हैं, लेकिन ठोस नीति का इंतजार जारी है।
अगर भारत ने सही समय पर फैसला नहीं लिया, तो टेक्नोलॉजी और इन्वेस्टमेंट के इस नए युग में हम सिर्फ देखने वाले बनकर रह जाएंगे।
आपकी राय क्या है?
क्या भारत को भी भूटान की तरह साहसिक कदम उठाने चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें।
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