मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हाल ही में हुई भारी बारिश ने शहर की लापरवाह इंफ्रास्ट्रक्चर व्यवस्था की पोल खोल दी है। एमपी नगर चौराहे पर स्थित एक व्यस्त सड़क पर 10 फीट गहरा गड्ढा बन गया, जिसने स्थानीय प्रशासन और PWD विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह हादसा उस वक्त सामने आया जब सुबह से हो रही बारिश के कारण सड़क का हिस्सा धंस गया और उसमें एक बड़ा गड्ढा बन गया। बता दें, इस सड़क के नीचे पुराना नाला बह रहा है, जो शायद इस धंसान का प्रमुख कारण हो सकता है।
घटना की मुख्य जानकारी
- घटना की तारीख: 17 जुलाई 2025
- स्थान: महाराणा प्रताप नगर (एमपी नगर) चौराहा, भोपाल
- गहराई: लगभग 10 फीट
- संबंधित विभाग: लोक निर्माण विभाग (PWD)
राजनीतिक प्रतिक्रिया और विरोध प्रदर्शन
घटना के बाद कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव बारोलिया ने मौके पर पहुंचकर गड्ढे के पास धरना दिया और विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने गड्ढे पर माला डालकर प्रशासन के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
PWD मंत्री का बयान बना मजाक
इस मामले के बीच, हाल ही में PWD मंत्री राकेश सिंह का एक विवादित बयान भी चर्चा में आ गया। उन्होंने कहा था:
“जब तक सड़कें रहेंगी, तब तक गड्ढे रहेंगे।”
इस बयान को जनता और विपक्ष दोनों ने गंभीर लापरवाही और असंवेदनशीलता के रूप में लिया।
भोपाल और ग्वालियर में गड्ढों की बाढ़
भोपाल में यह पहली बार नहीं है जब सड़कों की गुणवत्ता पर सवाल उठे हों। इससे पहले भी कई मामलों में बारिश ने करोड़ों की लागत से बनी सड़कों की खराब निर्माण गुणवत्ता को उजागर किया है।
ग्वालियर का मामला भी बना चर्चा का विषय
- चेतकपुरी रोड पर ₹4 करोड़ की लागत से बनी सड़क पर भारी बारिश के बाद गुफानुमा सुरंग बन गई थी।
- 90 डिग्री ब्रिज जैसे प्रोजेक्ट्स भी पूर्व में आलोचना का कारण बने हैं।
- इसके चलते PWD विभाग के 8 इंजीनियरों को निलंबित तक किया गया था।
भोपाल में खराब सड़कों के अन्य उदाहरण
स्थान | समस्या | लागत (₹) | स्थिति |
---|---|---|---|
90 डिग्री ब्रिज | यू-टर्न आदेश और निर्माण दोष | N/A | इंजीनियर निलंबित |
ग्वालियर चेतकपुरी | सुरंगनुमा सड़क | 4 करोड़ | सोशल मीडिया पर वायरल |
सिंधिया महल के पास | सड़क धंसी, डंपर फंसा | करोड़ों | निर्माण पर सवाल |
क्या है आगे की राह?
इस तरह की घटनाएं न केवल आम जनता के जीवन को खतरे में डालती हैं, बल्कि सरकारी परियोजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की भी कमी उजागर करती हैं।
जरूरत है:
- समय पर सड़क मरम्मत
- उच्च गुणवत्ता नियंत्रण
- जिम्मेदार इंजीनियरिंग
- जनता के प्रति जवाबदेही
भोपाल की सड़कों पर भरोसा कब होगा?
भोपाल जैसे प्रमुख शहर में ऐसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि भारी बजट के बावजूद बुनियादी ढांचे की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। जनता को जवाब चाहिए, न कि बयानबाजी। जब तक लोक निर्माण विभाग में सुधार और पारदर्शिता नहीं आती, तब तक इस तरह की घटनाएं बार-बार दोहराई जाती रहेंगी।