दक्षिण कोरिया में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद विपक्षी उम्मीदवार ली जे-म्यांग ने राष्ट्रपति चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। कभी फैक्ट्री मजदूर रहे ली अब देश की बागडोर संभालेंगे। उनकी यह जीत केवल एक राजनीतिक परिवर्तन नहीं, बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है।
राजनीतिक संकट का अंत
यह चुनाव ऐसे समय में हुआ, जब देश के पूर्व राष्ट्रपति यून सुक येओल को ‘मार्शल लॉ’ जैसे कड़े फैसलों के कारण महाभियोग का सामना करना पड़ा था। ली म्यांग ने इस महाभियोग में प्रमुख भूमिका निभाई, जिससे उनकी पार्टी ने उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया।
चुनाव नतीजे: विपक्ष की बड़ी जीत
- ली जे-म्यांग (डेमोक्रेटिक पार्टी) को मिले 48.86% वोट
- किम मून सू (रूढ़िवादी) को मिले 41.98% वोट
- 95% से अधिक मतगणना होने के बाद ही किम ने हार स्वीकार की
- किम ने ली को सार्वजनिक रूप से बधाई दी और कहा, “मैं लोगों के फैसले को विनम्रता से स्वीकार करता हूं।”
शपथ ग्रहण और भविष्य की योजनाएं
ली ने अपनी जीत की औपचारिक घोषणा से पहले हजारों समर्थकों के सामने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और उत्तर कोरिया के साथ शांति स्थापित करने जैसे लक्ष्य दोहराए।
उन्होंने कहा:
“हमें उम्मीद के साथ आगे बढ़ना चाहिए और इस पल से एक नई शुरुआत करनी चाहिए।”
ली को बुधवार को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई जाएगी।
विदेश नीति को लेकर क्या बदल सकता है?
हालांकि ली पर अक्सर चीन और उत्तर कोरिया की ओर झुकाव रखने के आरोप लगते रहे हैं, उन्होंने स्पष्ट किया है कि अमेरिका के साथ गठबंधन दक्षिण कोरिया की विदेश नीति का आधार रहेगा।
बड़ी चुनौतियां:
- अमेरिका के साथ व्यापार और कर नीति
- उत्तर कोरिया का परमाणु कार्यक्रम
- जापान के साथ तनावपूर्ण संबंध
विशेषज्ञों का मानना है कि इन मुद्दों पर बड़ी नीतिगत प्रगति कठिन होगी, लेकिन ली का नेतृत्व संतुलन बना सकता है।
कौन हैं ली जे-म्यांग?
- जन्म: 1963, एंडोंग, ग्योंगबुक प्रांत के एक पहाड़ी गांव में
- पृष्ठभूमि: अत्यंत गरीब परिवार से, बचपन में फैक्ट्री में मजदूरी
- पेशे: मानवाधिकार वकील → फिर राजनेता
- 2022 चुनाव: मामूली अंतर से हार, पार्टी तीसरे स्थान पर रही
- राजनीतिक भूमिका: यून सुक येओल के महाभियोग में अग्रणी भूमिका
ली का जीवन एक “रैग्स टू प्रेसिडेंट” कहानी है – जहां मेहनत, ईमानदारी और दृढ़ता से कोई भी व्यक्ति अपने भाग्य को बदल सकता है।
ली जे-म्यांग की जीत केवल एक राजनीतिक परिवर्तन नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक बदलाव है। एक साधारण मजदूर से देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचना हर नागरिक को यह सिखाता है कि लोकतंत्र में सपने पूरे हो सकते हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि वे देश को स्थिरता और विकास के पथ पर कैसे ले जाते हैं।