सावन का पावन महीना शुरू हो गया है। इसी के साथ कांवड़ यात्रा भी शुरू हो गई है। गगरियों में गंगाजल भरकर श्रध्दालु भोले- भोले कहते हुए आगे बढ़ेंगे। इसी के साथ आज यानी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया जिसके तहत उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के कांवड़ यात्रा मार्ग से जुड़े आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी गई है। इस फैसले का विपक्षियों ने स्वागत किया है। इसके साथ ही लोगों ने अपने दुकानों से नेमप्लेट हटाना भी शुरू कर दिया है। कावड़ रास्ते के दुकान वाले जो कि नेमप्लेट लगा दिए थे उन्होंने निकालना शुरू कर दिया है। कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग भी कावड़ ले जा रहे हैं। एक मुस्लिम युवक ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि खाने-पीने के लिए ढाबों में जाते समय भेदभाव नहीं करते हैं। किसी होटल पर खाने से पहले वे खुद लोगों से पूछ लेते हैं कि वो लहसून प्याज कहेंगे या नहीं।
ये भारतीयों की जीत- महुआ मोइत्रा
इस मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि हमें यूपी सरकार और मुजफ्फरपनगर पुलिस की तरफ से शुरू किए गए अवैध और असंवैधानिक कांवड़ यात्रा आदेश पर पूरी तरह से रोक मिली है। इस आदेश को पूरे यूपी और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में लागू किया गया था। उन्होंने आगे कहा इससे धार्मिक भेदभाव हो रहा था। हमने इसके खिलाफ याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अभी इस पर पूरी तरह से रोक लगाई है और किसी भी दुकान के मालिकों को अपना नाम दुकान के बाहर लिखने की जरूरत नहीं है। यह संविधान और भारत के सभी लोगों के लिए एक बड़ी जीत है।
अखिलेश यादव ने भाजपा पर लगाए आरोप
वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि दुकानों के सामने मालिक का नाम लिखने का निर्देश, इसके साथ ही सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति देने का फैसला भाजपा की हताशा को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता की राजनीति अपने अंतिम चरण में है, इसलिए सरकार की तरफ से ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा वे (भाजपा) और भी ऐसे कदम उठाएंगे। वे सांप्रदायिक राजनीति को जीवित रखने के लिए ऐसा कर रहे हैं।