भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है। यहां की आधी से ज्यादा आबादी खेती पर निर्भर है। किसानों की वजह से हमारे थाली तक भोजन पहुंचते हैं। तो आज हम उन्हीं किसानों भाईयों के लिए काम की खबर लाए हैं जिसको वो फॉलो कर अपनी फसल की पैदावार को बढ़ा सकते हैं।
इस समय बाजार में टमाटर की कीमत आसमान छू रही है। खुले बाजार में टमाटर की कीमत 80 रूपये प्रति किलो बिक रहा है। तो आइए आपको इस आर्टिकल में बताते हैं कि टमाटर की अच्छी फसल पाने के लिए किसान भाईयों को क्या करना होगा।
गर्म मौसम की फसल है टमाटर
टमाटर एक गर्म मौसम की फसल है जिसके लिए 20-30 डिग्री सेल्सियस तापमान और अच्छी जल निकासी वाली रेतीली या दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। मिट्टी की उर्वरता और पीएच स्तर भी महत्वपूर्ण हैं। टमाटर की उन्नत किस्मों का चयन करते समय जलवायु और बाजार की मांग को ध्यान में रखना चाहिए। कुछ लोकप्रिय किस्मों में हाइब्रिड 12, सिंथेटिक-1, पीटी-12, रितु, आर-721, पूसा रत्न आदि शामिल हैं। इन किस्मों में उच्च उत्पादन क्षमता, रोग प्रतिरोधक क्षमता और अच्छी गुणवत्ता वाले फल होते हैं।
मिट्टी को उपजाऊ बनाएं
बीज को बोने से पहले 24 घंटे नीम के अर्क में भिगोना चाहिए। बोने के लिए पॉलीबैग या ट्रे का इस्तेमाल करें। उचित मात्रा में पानी और खाद दें। मिट्टी की जुताई करके खेत तैयार करें। गोबर या कम्पोस्ट खाद से मिट्टी को उपजाऊ बनाएं। आवश्यकतानुसार रासायनिक खाद भी डालें। जब पौधे 15-20 दिन के हो जाएं, तो उन्हें खेत में रोप दें। पौधों के बीच उचित दूरी रखें। सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल करें।
खरपतवारों को नियंत्रित करें। मल्चिंग भी खरपतवारों को नियंत्रित करने का एक प्रभावी तरीका है। मल्चिंग मिट्टी की नमी को बनाए रखती है और खरपतवारों को बढ़ने से रोकती है। इसके पौधों को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। खेत में जलभराव को रोकें।
खास बता का रखें ध्यान
टमाटर के पौधों को संतुलित मात्रा में खाद और उर्वरकों की जरूरत होती है। टमाटर के पौधों में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम वाले उर्वरकों को डाले। सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी ध्यान रखें। टमाटर में कई तरह के रोग और कीट लगने की संभावना होते हैं। पौधे में रोग और कीटों के लगने से पहले जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें। फसल पूरी तरह से पकने के बाद ही कटाई करें। कटाई के बाद टमाटरों को सावधानी से इकट्ठा करें और भंडारित करें। भंडारण के लिए ठंडी और सूखी जगह का इस्तेमाल करे।